5.
निम्न दोहे का भावार्थ कीजिए
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे,दया करै सब कोय।।
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कबीर दास जी कहते हैं कि अगर हमारा मन शीतल है तो इस संसार में हमारा कोई बैरी नहीं हो सकता। अगर अंहकार छोड़ दें तो हर कोई हम पर दया करने को तैयार हो जाता है।
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