Hindi, asked by senthakur57, 8 months ago

5. ओस्टेंड का प्रयोग समझाइये। हिंदी में
Explain oersted experiment​

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Answered by Anonymous
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Answer:

In 1820, a Danish physicist, Hans Christian Oersted, discovered that there was a relationship between electricity and magnetism. By setting up a compass through a wire carrying an electric current, Oersted showed that moving electrons can create a magnetic field.

Answered by tanmaywagh82
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Answer:

explaining

Explanation:

ओरस्टेड का प्रयोग (oersted experiment) : ओरेस्टेड ने सन 1820 में एक प्रयोग किया , यह प्रयोग उन्होंने चालक तार में धारा प्रवाहित होने पर क्या होता है यह अध्ययन करने के उद्देश्य से किया था।

ओरस्टेड ने अपने प्रयोग से यह स्पष्ट सिद्ध किया की ” जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है अर्थात गतिमान आवेश के कारण उसके चारो ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है ”

इस प्रयोग में उन्होंने एक चालक तार (A-B ) लिया तथा एक धारा नियंत्रक (Rh) और बैटरी को चित्रानुसार जोड़ा।

चालक तार AB के नीचे समान्तर में एक चुंबकीय सुई (कम्पास) को उत्तर-दक्षिण में रखा गया जैसा चित्र में दिखाया गया है।

इस प्रकार परिपथ पूर्ण करने के बाद ओरस्टेड ने विभिन्न स्थितियों का अध्ययन किया।

1. जब कुंजी K को खुला रखा जाता है अर्थात परिपथ में कोई धारा प्रवाहित न होने की स्थिति में कम्पास या चुंबकीय सुई स्थिर बनी रहती है।

2. जब कुंजी में डॉट लगाई जाती है तो परिपथ में धारा प्रवाहित होने लगती है और इस स्थिति में कम्पास में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है।

3. जब तार AB में प्रवाहित धारा का मान बढ़ाया जाता है तो चुंबकीय सुई (कम्पास ) में विक्षेप भी अधिक होता है।

4. यदि चालक तार AB में प्रवाहित धारा की दिशा बदल दी जाए अर्थात बैटरी के टर्मिनल विपरीत करने पर चुंबकीय सुई (कम्पास ) में विक्षेप भी विपरीत दिशा में होता है अर्थात विक्षेप की दिशा बदल जाती है।

ओरस्टेड के प्रयोग के निष्कर्ष (conclusion of oersted’s experiment)

ओरेस्टेड द्वारा किये गए निम्न प्रयोग से उन्होंने निष्कर्ष निकाले वे निम्न है

1. चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इसके चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

2. चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण तार में प्रवाहित धारा के परिमाण पर निर्भर करता है अर्थात विद्युत धारा का मान बढ़ाने पर चुंबकीय क्षेत्र भी बढ़ता है।

3. कम्पास को तार से दूर ले जाने पर चुंबकीय क्षेत्र कम होता जाता है।

4. जब चालक तार में प्रवाहित धारा दक्षिण-उत्तर दिशा में होती है तो चुंबकीय सुई (कम्पास ) का उत्तरी ध्रुव पश्चिम दिशा में विक्षेपित हो जाता है।

5. जब चालक तार में प्रवाहित धारा उत्तर-दक्षिण दिशा में होती है तो चुंबकीय सुई (कम्पास ) का उत्तरी ध्रुव पूर्व दिशा में विक्षेपित हो जाता है।

6. चालक तार में धारा प्रवाह के कारण चालक के ऊपर तथा नीचे चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है , उत्पन्न ऊपर व नीचे चुंबकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर विपरीत होती है।

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