5 पुढील प्रश्नांची सविस्तर उत्तरे लिहा.
1. केंद्र-राज्य आर्थिक प्रशासकीय व कायदेविषयक संबंध स्पष्ट करा.
Answers
केंद्र-राज्य संबंध से अभिप्राय किसी लोकतांत्रिक राष्ट्रीय-राज्य में संघवादी केंद्र और उसकी इकाइयों के बीच के आपसी संबंध से होता है। विश्व भर में लोकतंत्र के उदय के साथ राजनीति में केंद्र-राज्य संबंधों को एक नई परिभाषा मिली है।
भारतीय संविधान में भारत को 'राज्यों का संघ' कहा गया है न कि संघवादी राज्य। भारतीय संविधान में विधायी, प्रशासिनिक और वित्तीय शक्तियों का सुस्पष्ट बंटवारा केंद्र और राज्यों के बीच किया है।[1]
विधायी शक्ति के विषयों को तीन सूचियों में बांटा गया है।
(१) केंद्रीय सूची (९९ विषय समाविष्ट)
केंद्रीय सूची में वे विषय शामिल किए गए हैं जिन पर सिर्फ केंद्र सरकार कानून बना सकती है। इस सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय शामिल किए गए है जैसे कि प्रतिरक्षा, विदेश संबंध, मुद्रा, संचार और वित्तीय मामले आदि।
(२) राज्य सूची (६१ विषय समाविष्ट)
राज्य सूची में कानून और व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, प्रशासन जैसे स्थानीय महत्व के विषयों को शामिल किया गया है।
(३) समवर्त्ती सूची (४७ विषय समाविष्ट)
समवर्त्ती सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है जिनपर केंद्र ओर राज्य दोनों ही कानून बना सकते हैं। कोई राज्य सरकार केंद्र के द्वारा बनाए गए कानूनों व नीति के विरोध में या फिर विपरीत कानून नहीं बना सकती है।