World Languages, asked by mukhtarhussainp8bcu0, 14 days ago

5 points on 'krodh(anger)' in sanskrit

Answers

Answered by khushisupriyajha
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Answer:

1.क्रोधो मूलमनर्थानां क्रोधः संसारबन्धनम्।

धर्मक्षयकरः क्रोधः तस्मात् क्रोधं विवर्जयेत्॥

2.अक्रोधेन जयेत् क्रोधमसाधुं साधुना जयेत् |

जयेत् कदर्यं दानेन जयेत् सत्येन चानृतम् ||

3.सर्वं परवशं दुःखं सर्वमात्मवशं सुखम्।

एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदुःखयोः॥

Explanation:

1.क्रोध समस्त विपत्तियों का मूल कारण है, क्रोध संसार बंधन का कारण है, क्रोध धर्म का नाश करने वाला है, इसलिए क्रोध को त्याग दें।

2.क्रोध पर विजय क्रोध न कर के ही प्राप्त हो सकती है, तथा

दुष्टता पर विजय सौम्य स्वभाव तथा सद्व्यवहार द्वारा ही होती है।

कंजूसी की प्रवृत्ति पर विजय दान देने से ही सम्भव होती है, और

झूठ बोलने की प्रवृत्ति पर सत्यवादिता से ही विजय प्राप्त होती है।

Answered by ssgb1132
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Explanation:

krodh ko sanskrit meh

कोप या आभष् कहते है

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