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डॉक्टर और मरीज के पिता के बीच संवाद
डॉ०- देखिए सर, आपका बेटा बिल्कुल निर्दोष है। इसके चरित्र के कारण इसे यह रोग नहीं हुआ है।
पिता- तो फिर कैसे हो गया ?
डॉ०- इस रोग के फैलने के कई कारण होते हैं।
पिता- डॉ० साहब, कहीं यह रोग मच्छरों के काटने से तो नहीं होता ?
डॉ०- बिल्कुल नहीं। इसके मात्र दो कारण हैं।
पिता- क्या ........ ?
डॉ०- पहला कारण तो मैंने बताया ही 'असुरक्षित यौन-संबंध और दूसरा कारण है- किसी-न-किसी रूप में संक्रमित ब्लड से सम्पर्क होना।
पिता- डॉक्टर साहब, मेरा भी चेकप कर ही दीजिए। कहीं यह ........ ।
डॉ०- चेकप करवाने में कोई हर्ज नहीं है; परन्तु आप यह जान लें कि यह रोग छुआछूत वाला नहीं है। यह रोगी से हाथ मिलाने, उसे चूमने, एक-साथ खाने-पीने से नहीं होता।
पिता- इससे बचने का कोई तो उपाय होगा न सर ?
डॉ०- एक ही उपाय है- सावधानी।
पिता- कैसी सावधानी ?
डॉ०- अपने चरित्र पर ध्यान दें; वेश्यागमन से बचें; एक ही सीरिंज का उपयोग बार-बार अनेक लोगों के लिए नहीं हो और एक ही ब्लेड का प्रयोग भी अनेक लोगों के लिए न हों, क्योंकि एड्स एक वायरल रोग है। जब तक इसके रोगी के ब्लड से किसी दूसरे का ब्लड संक्रमित नहीं होगा, तब तक इसका वायरस फैल ही नहीं सकता।
पिता- मेरे विक्की के लिए क्या उपाय है, डॉक्टर साहब ?
डॉ०- अब एक ही उपाय है- इसे खूब लार-दुलार कीजिए; क्योंकि यह चंद दिनों का मेहमान है।
(पिता का सुबक-सुबककर रोना)
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राम: श्याम क्या तुम्हे पथा है कि अमझन रें फॉरेस्ट काम हो गया