50 points dears!
Varsha,badal,nadi,suraj,chānd,jharne,sagar aadi me kisi ek vishay per prakruti varnan se judi kavitha ka sangrah kijiye
Thanksie!!
best answer will be really appreciate!
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see this!!!
देख रही हैं जमीं आसमां को, जैसे कुछ ढूंढ रही हो,
कब आयेगा मेरा बादल, मन ही मन ये पूछ रही हो,
चुप्पी साधे खड़ा आसमां, नीचे सिर झुकाता है,
रोता है अन्दर ही अन्दर, आंसू गिरा ना पाता है,
हर रोज सूरज तपिश से अपनी, जमीं को यूँ जलाता है,
कह रहा हो जैसे उससे, तेरा बादल क्यूँ तुझे नहीं बचाता है,
रातों के अंधियारों में, छिपकर चाँद निकलता है,
झुलस चुकी जमीं के घांव पर, मरहम रोज लगाता है ,
जल्दी आयेगा तेरा बादल, हर रात तसल्ली देता है …
देख रही हैं जमीं आसमां को, जैसे कुछ ढूंढ रही हो,
कब आयेगा मेरा बादल, मन ही मन ये पूछ रही हो,
चुप्पी साधे खड़ा आसमां, नीचे सिर झुकाता है,
रोता है अन्दर ही अन्दर, आंसू गिरा ना पाता है,
हर रोज सूरज तपिश से अपनी, जमीं को यूँ जलाता है,
कह रहा हो जैसे उससे, तेरा बादल क्यूँ तुझे नहीं बचाता है,
रातों के अंधियारों में, छिपकर चाँद निकलता है,
झुलस चुकी जमीं के घांव पर, मरहम रोज लगाता है ,
जल्दी आयेगा तेरा बादल, हर रात तसल्ली देता है …
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यूँ चलते चलते जब नज़र ऊपर उठी
एक अलग ही दुनिया मुझको दिखी
विपरीत और विभिन्न, स्वच्छ और निर्मल
नीला अंबर था, या नदी का शीतल जल?
छोटे बड़े बादल यहाँ वहाँ फैले हुए
नीले फर्श पर जैसे रुई के गोले रेंगते हुए
निराकार, निर्बद्ध, श्वेत और शुद्ध
दृश्य ऐसा के खो जाए सुध बुध
ऐसे में क्षितिज पर देखा काला धुआँ
अचानक वास्तविकता का आभास हुआ
वाह रे इंसान तू कितना ऊँचा उठा
धरती तो मैली हो गई आसमान भी काला हुआ
this is the poem which i presented in class for my project work..
hope it helps you
एक अलग ही दुनिया मुझको दिखी
विपरीत और विभिन्न, स्वच्छ और निर्मल
नीला अंबर था, या नदी का शीतल जल?
छोटे बड़े बादल यहाँ वहाँ फैले हुए
नीले फर्श पर जैसे रुई के गोले रेंगते हुए
निराकार, निर्बद्ध, श्वेत और शुद्ध
दृश्य ऐसा के खो जाए सुध बुध
ऐसे में क्षितिज पर देखा काला धुआँ
अचानक वास्तविकता का आभास हुआ
वाह रे इंसान तू कितना ऊँचा उठा
धरती तो मैली हो गई आसमान भी काला हुआ
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