Hindi, asked by deepaksassan01, 8 months ago

50 से 60 शब्दों में ध्रुव कथा लिखें ​

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Answered by nmishra171
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एक बार उत्तानपाद सिंहासन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुँच गये। उस समय उनकी अवस्था पाँच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तानपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव जी भी राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे।

सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा- “इस गोद में चढ़ने का तेरा अधिकार नहीं है। अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन।” तब तू इस गोद में बैठने का अधिकारी होगा।

ध्रुव जी रोते हुए अपनी माँ के पास आये। माँ को सारी व्यथा सुनाई। सुनीति ने सुरुचि के लिये कटु-शब्द नहीं बोले, उसे लगा यदि मैं उसकी बुराई करुँगी तो ध्रुव के मन में हमेशा के लिये वैर-भाव के संस्कार जग जायेंगे। सुनिति ने कहा- ध्रुव तेरी विमाता ने जो कहा है, सही कहा है।बेटे! यदि भिक्षा माँगनी है तो फिर भगवान से ही क्यों न माँगी जाय? भगवान तुझ पर कृपा करेंगे, तुझे प्रेम से बुलायेंगे, गोद में भी बिठाएंगे। अब तुम वन में जाकर नारायण का भजन करो।

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