- 55. श्रील प्रभुपाद ने इसे अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया और भारत में प्रचार कार्य शुरू किया। 1944 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने 'भगवद दर्शन' नाम की पत्रिका - शुरू की। वे ही लेखन, सम्पादन, प्रमाण शोधन और पत्रिका के बेचने का कार्य अकेले करते थे।
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क दृढ़ निश्चय
फ़ॉलो करो कृपा
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