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कहते आते थे यही अभी नरदेही,
"माता न कुमाता, पुत्र कुपुत्र भले हो।'
अब कहें सभी यह हाय! विरुद्ध विधाता-
"हे पुत्र पुत्र ही, रहे कुमाता माता
बस मैंने इसका बाहा-मात्र ही देखा,
दृढ़ हृदय ने देखा, मृदुल गात्र ही देखा
परमार्थ न देखा, पूर्ण स्वार्थ ही साधा,
इस कारण ही तो हाय आज यह बाधा!
युग-युग तक चलती रहे कटोर कहानी-
"रघुकुल में थी एक अभागिन रानी।"
10 उपर्युक्त पद्यांश के अनसार आज तक लोग क्या कहते आ
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fb do ki saas nishpap didi galat didi straight display still
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y Suzanne Stanton
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