6. बढ़े चलो
शब्द-अर्थ
बिजली की आवाज़।
अभ्यास
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न (MCQs)
(3) पुस्तक
(क) बच्चे हाथ में क्या लिए हुए हैं ?
(1) ध्वज
म (2) खिलौने
Ph
(2) पहाड़ का
(3) मुसीबतों का
(1) सिंह का
(2) हवा के समान
(3) रेल के समा
वीर, तुम बढ़े चलो,
(1) सूर्य-चंद्र के समान
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएँ।
वीर, तुम बढ़े चलो,
धीर, तुम बढ़े चलो।
हाथ में ध्वजा रहे.
बाल-दल सजा रहे,
ध्वज कभी झुके नहीं,
दल कभी रुके नहीं,
वीर, तुम बढ़े चलो,
धीर, तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो,
सिंह की दहाड़ हो,
तुम निडर हटो नहीं,
तुम निडर डटो वहीं,
वीर, तुम बढ़े चलो,
धीर, तुम बढ़े चलो।
गरजते रहें,
रसते रहें,
लयाँ कड़क उठे,
याँ तड़क उठे,
संगहो न साथ
हो
3. बोलो और लिखो
संग
संना
ध्वजा
चंद्र-से बढ़े चलो,
वीर, तुम बढ़े चले
धीर, तुम बढ़े चलो
बाल-दल
लाल-दल
Man
कड़क
बिजलियाँ
विजलिया
ध्वजा
दहाड़
दहाड़
तड़क तडक
प्रातः
पाता
4. कविता की पंक्तियों के अर्थ लिखो
(क) ध्वज कभी झुके नहीं, दल कभी रुके नहीं,
वीर, तुम बढ़े चलो, धीर, तुम बढ़े चलो।
द्वारिका प्रसाद माहेश
हमें कठिनाइयों का सामना करते हुए बहादुरी से आगे बढ़ते जाना चाहिए। कवि ने कविता में इसी बात की प्रेरणा दी है।
धीर = धैर्यवान, बाल-दल = बच्चों का समूह, दहाड़ = शेर की आवाज, मेघ = बादल, तड़क = प्राकृति
प्रत्येक प्रश्न के लिए विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प चुनें।
(ख) हमें निडर होकर किसका सामना करना चाहिए?
(ग) कवि किसके समान आगे बढ़ते जाने के लिए कहता है?
धीर, तुम बढ़े चलो।
(क) हमें किन-किन परिस्थितियों में निडरता के साथ बढ़ते जाना चाहिए?
प्रात:हो किरात हो
(ख) कवि ने बादल और बिजली के बारे में क्या कहा है ?
(ग) हमें सूर्य और चंद्रमा की तरह कब तक बढ़ते जाना चाहिए?
(घ) कवि इस कविता से हमें क्या सीख देना चाहता है ?
सूर्य-से बढ़े चलो,
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yes
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