Hindi, asked by bhoomi3130, 1 year ago

५।।
6. चोर की दाढ़ी में तिनका।
8. नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

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Answered by prashantro0
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Answer:

नाच न जाने आँगन टेढ़ा"। इसका यह मतलब होता है कि हम अपनी असफलताओं को स्वीकार नहीं करके उसका दोष दूसरों पर डालना चाहते हैं। जो बहादुर हो, वह अपनी गलतियों से सीखता है न कि दूसरों पर अपनी गलती डालता है। ऐसा इन्सान अपनी हार के लिए हमेशा बहाने बनाता है, लेकिन अपनी कमज़ोरी को समझ कर भी अनजान रहना चाहता है। इसी कहावत पर एक कहानी जो बच्चों की है, लेकिन हमें बहुत कुछ सिखाती है। एक समय की बात है - एक अहंकारी लोमड़ी थी । एक दिन वह अपने रिश्तेदार से मिलने गई जो पास के ही गाँव में रहती थी । वह चलती गई, चलती गई लेकिन कुछ दूर चलने के बाद वह थक गई और उसे भूख और प्यास भी लगने लगी । वह सोचने लगी कि काश! इसे कुछ खाने को मिला जाता । तभी उसे अंगूरों की एक बेल दिखाई दी । उसने बेल पर लगे अंगूर देखकर सोचा कि ये अंगूर बहुत रसभरे और स्वादिष्ट लग रहे हैं। वह उन अंगूरों को खाने के लिए ऊपर की ओर कूदी । लेकिन अंगूरों की ऊँचाई तक नहीं पहुँच सकी क्योंकि अंगूर बहुत ऊँचाई पर लटक रहे थे । उसने फिर से एक बार कोशिश की लेकिन फिर भी असफल रही । फिर लोमड़ी की समझ में आया कि अंगूर तो ऊँचाई पर लगे हैं और वहाँ तक पहुँचना उसके लिए मुश्किल है। फिर भी वह यह कहकर वहाँ से चली कि अंगूर तो खट्टे हैं । इसके साथ उसने यह भी कहा कि कच्चे अंगूर मैं क्यों खाऊँ? उसने अंगूरों पर एक और इल्ज़ाम लगाया कि ये अंगूर तो सड़े-गले, आधे खाये हुए और अस्वस्थ हैं। इसलिए मुझे यहाँ से जाना चाहिए, यह कहकर वह वहाँ से चली गई। किसी ने सही कहा है कि जब इंसान कुछ कर नही पाता या जो प्राप्त करना है, उसे पा नहीं सकता तो वह कहता है कि नाच न जाने आँगन टेढ़ा । लोमड़ी अंगूर न खा सकी इसलिए उसने अंगूरों को ही दोष दिया कि वे खट्टे हैं। इसके साथ यह भी आरोप लगाया कि अंगूर अस्वस्थ हैं। चोर की दाढ़ी में तिनका किसी जंगल में एक मोर और राजहंस परिवार खुशी से रहते थे। उनमें आपस में बहुत गहरा प्यार था। उनके घर के पास एक सुन्दर मैदान था व पास में ही एक गहरा नीला तालाब। कभी आसमान में बादल छा जाने से मोर अपने नृत्य से सभी का मन मोह लेता। राजहंस भी उस गहरे तालाब में दूर-दूर तक तैरता रहता। कभी-कभार व मोर-मोरनी के बच्चों को अपनी पीठ पर दूर-दूर की सैर भी करा लाता। इस प्रकार उनका जीवन खुशी से बीतता जा रहा था। उनके सामने ही बरगद के पेड़ पर एक नीलू कौआ रहता था । वह इनकी बढ़ती हुई मित्रता से मन-ही-मन जलता रहता था। एक दिन वह काँव-काँव करता हुआ कृष्णा तालाब के किनारे पहुँच गया वह राजहंस को अकेला देख बड़े प्रेम से कहने लगा-‘‘राजहंस भैया मैं कृष्णा तालाब के किनारे और ऊपर वाले पर्वत पर रहता हूँ। जब आप तालाब में तैरते रहते हैं तो मोर और मोरनी आपके बच्चों को कई ताने सुनाते रहते है और परेशान करते हैं। ऐसे में बेचारे बच्चे कैसे बड़े होगें ?’’ ‘‘तुम्हे कैसे मालूम राजहंसनी ने पूछा। ‘‘मुझे बार-बार यह देखते बहुत दुख होता है आज सवेरे ही वह कह रहे थे कि हम तो कितना अच्छा नृत्य कर लेते हैं। राजहंसों को कौन पूछता है और पूरे जंगल में पक्षियों के राजा तो हम है । हमारी सुन्दरता का मुकाबला दुनिया में कौन कर सकता है। इसलिए मैं ऐसा सहन नहीं कर पाया, तो आपके पास चला आया।’’ यह कहकर वह फुर्र से उड़ गया।

Explanation:


bhoomi3130: thku so much
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