Hindi, asked by nm2594097, 1 month ago

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(क) "हे भगवान! तब के लिए ! विपद के लिए! इतना आयोजन! परमपिता की इच्छा
के विरूद्ध इतना साहस! पिताजी, क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्द भ-पृष्ठ
पर न बचा रह जाएगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असम्भव है।
फेर दीजिए पिताजी, मैं काँप रही हूँ-इसकी चमक आँखों को अन्धा बना रही है।​

Answers

Answered by ashu172008
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परमपिता की इच्छा के विरुद्ध इतना साहस। पिताजी, क्या भीख न मिलेगी? क्या कोई हिन्दू भू-पृष्ठ पर न बचा रह जाएगा, जो ब्राह्मण को दो मुट्ठी अन्न दे सके? यह असम्भव है।

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