6 मेण्डल के द्विशंकर क्रॉस को रेखाचित्र या चेकर बोर्ड की सहायता से
समझाइए।
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मटर का जीवन-चक्र छोटा होता है, जिससे प्रयोग करने में कम समय लगता है।
इसमें पर-परागण द्वारा सरलतापूर्वक संकरण किया जा सकता है।
मटर में काफी स्पष्ट विपर्यायी या विपरीत लक्षण होते हैं।
सामान्यतः मटर में स्व-परागण एवं निषेचन होता है, जिसके कारण पौधे समयुग्मजी होते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके पौधे शुद्ध लक्षण वाले बने रहते हैं।
इसका पौधा द्विलिंगी होता है और स्व-परागण द्वारा गुणों की शुद्धता को बनाये रखता है, लेकिन यदि इसके पुष्प के पुमंगों को हटा दिया जाय तो वह एकलिंगी के समान व्यवहार करने लगता है।
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