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कबीर बादल प्रेम का, हम परि बरष्या आइ।
अंतरि भीगी आत्माँ, हरी भई बनराइ।।
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इसका मतलब है की कबीर रस वाणी हम पर बरस गई है और हमारी अन्तर आत्मा उस वाणी से भीग गई है और हरी भरी हो गई है
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