7. मनुष्य में श्वसन क्रिया का वर्णन करें।
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जब हम सांस लेते हैं, हवा में उपस्थित आक्सीजन फेफेड़ों में पहुंचती है और खून के निकट संपर्क में आती है जो उसे अवशोषित कर लेता है और शरीर के सभी भागों में ले जाता है। साथ ही साथ खून कार्बन डाइआक्साइड को शरीर भर से लाकर फेफड़ों में छोड़ता है जो उच्छवास के साथ फेफड़ों से बाहर निकाल दी जाती है।
फेफड़े पक्षाधात से नहीं प्रभावित होते लेकिन छाती, उदर और डाइएफ्रैम की पेशियां प्रभावित हो सकती हैं। श्वसन से जुड़ी विभिन्न पेशियों के संकुचन के साथ फेफड़े फैल जाते हैं जिससे छाती के भीतर का दबाव बदल जाता है और फेफडों में हवा भर जाती है। यह निश्वास है जिसके लिए पेशीय शक्ति की आवश्यकता होती है। उन्हीं पेशियों के शिथिलन के साथ आपके फेफड़ों से हवा बाहर निकलती है और आप उच्छवास लेते हैं।
अगर सी-3 के स्तर पर या उससे ऊपर फ़ालिज मार जाता है तो मध्यच्छद तंत्रिका (फ्रेनिक नर्व) उद्दीपित नहीं होती और डाइएफ्रैम काम नहीं करता और सांस लेने के लिए यांत्रिक सहायता- यानी संवातक (वेंटिलेटर) की ज़रूरत पड़ती है
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