7 निम्नलिखित वाक्य पढ़कर प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :
0 सोनाबाई का लड़का मेज पर चढ़ गया। आयकर कारक
| () प्रेरणा का सूक्ष्म प्रभाव होता है।
कारक चिह्न
कारक भेद
Answers
निम्नलिखित वाक्य पढ़कर प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए...
सोनाबाई का लड़का मेज पर चढ़ गया।
कारक चिह्न = का
कारक भेद = संबंध कारक
प्रेरणा का सूक्ष्म प्रभाव होता है।
कारक चिह्न = का
कारक भेद = संबंध कारक
संज्ञा अथवा सर्वनाम का वाक्य के अन्य शब्दों के साथ संबंध दर्शाने वाले चिह्न ही कारक कहलाते हैं।
कारक के आठ भेद होते हैं।
1. कर्ता कारक ने ( काम करने वाला )
2. कर्म कारक को (जिस पर काम का प्रभाव पड़े )
3. करण कारक से , द्वारा (जिसके द्वारा करता काम करें)
4. सम्प्रदान कारक को , के , लिए ( जिसके लिए क्रिया की जाए )
5. अपादान कारक से (अलग होना ) ( जिससे अलगाव हो )
6. संबंध कारक = का ,की ,के ,ना , नी , ने , रा , री , रे (अन्य पदों से सम्बध )
7. अधिकरण कारक = में, पर ( क्रिया का आधार )
8. संबोधन कारक= हे! अरे! अजी ! ( किसी को पुकारना , बुलाना )
Answer:
कारक क्या होता है?
परिभाषा, चिह्न, प्रकार, परसगों का प्रयोग, संज्ञा एवं सर्वनामों पर कारक का प्रभाव–अभ्यास
“जो क्रिया की उत्पत्ति में सहायक हो या जो किसी शब्द का क्रिया से संबंध बताए वह ‘कारक’ है।”
जैसे–माइकल जैक्सन ने पॉप संगीत को काफी ऊँचाई पर पहुँचाया।
यहाँ ‘पहुँचाना’ क्रिया का अन्य पदों माइकल जैक्सन, पॉप संगीत, ऊँचाई आदि से संबंध है। वाक्य में ‘ने’, ‘को’ और ‘पर’ का भी प्रयोग हुआ है। इसे कारक–चिह्न या परसर्ग या विभक्ति–चिह्न कहते हैं। यानी वाक्य में कारकीय संबंधों को बतानेवाले चिह्नों को कारक–चिह्न अथवा परसर्ग कहते हैं। हिन्दी में कहीं–कहीं कारकीय चिह्न लुप्त रहते हैं।जैसे–
घोड़ा दौड़ रहा था।
वह पुस्तक पढ़ता है।
आदि। यहाँ ‘घोड़े’ ‘वह’ और ‘पुस्तक’ के साथ कारक–चिह्न नहीं है। ऐसे स्थलों पर शून्य चिह्न माना जाता है। यदि ऐसा लिखा जाय : घोड़ा ने दौड़ रहा था।
उसने (वह + ने) पुस्तक को पढ़ता है।
तो वाक्य अशुद्ध हो जाएँगे; क्योंकि प्रथम वाक्य की क्रिया अपूर्ण भूत की है। अपूर्णभूत में ‘कर्ता’ के साथ ने चिह्न वर्जित है। दूसरे वाक्य में क्रिया वर्तमान काल की है। इसमें भी कर्ता के साथ ने चिह्न नहीं आएगा। अब यदि ‘वह पुस्तक को पढ़ता है’ और ‘वह पुस्तक पढ़ता है’ में तुलना करें तो स्पष्टतया लगता है कि प्रथम वाक्य में ‘को’ का प्रयोग अतिरिक्त या निरर्थक हैं; क्योंकि वगैर ‘को’ के भी वाक्य वही अर्थ देता है। हाँ, कहीं–कहीं ‘को’ के प्रयोग करने से अर्थ बदल जाया करता हैlजैसे–
वह कुत्ता मारता है : जान से मारना
वह कुत्ते को मारता है : पीटना
कर्ता कारक
कर्म कारक
करण कारक
सम्प्रदान कारक
संबंध कारक
अधिकरण कारक
संबोधन कारक
हिन्दी भाषा में कारकों की कुल संख्या आठ मानी गई है, जो निम्नलिखित हैं–
कारक – परसर्ग/विभक्ति
1. कर्ता कारक – शून्य, ने (को, से, द्वारा)
2. कर्म कारक – शून्य, को
3. करण कारक – से, द्वारा (साधन या माध्यम)
4. सम्प्रदान कारक – को, के लिए
5. अपादान कारक – से (अलग होने का बोध)
6. संबंध कारक – का–के–की, ना–ने–नी; रा–रे–री
7. अधिकरण कारक – में, पर
8. संबोधन कारक – हे, हो, अरे, अजी…….