Hindi, asked by markamroshan84, 8 months ago

8. कृष्ण चंदर
पेड़ गिर
आदमी
गया,

लॉन में
SEL
इकट्ठा
श्री चंदर आम जनता में बोली और समझी जाने वाली भाषा और
उनकी वेदनाओं को समझने वाले साहित्यकार थे। इनका जन्म (अविभाजित)
पंजाब के वजीराबाद गाँव, जिला गुजरांवाला में सन् 1914 में हुआ।
इन्होंने कहानियाँ, उपन्यास तथा रेडियो एवं फिल्मी नाटक लिखे। इनका
व्यंग्यात्मक उपन्यास गधे की आत्मकथा' बहुचर्चित है। सन् 1977 में इनका
निधन हो गया।
प्रेमचंद के बाद जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाइयों तक
पहुँचाया उनमें
कृष्ण
चंदर का नाम अग्रणी है।
एक गिरजा-ए-खंदक, 'नजारे', 'जिंदगी का मोड़', 'अन्नदाता', 'मैं
इंतजार करूँगा, यूकेलिप्टस की डाली- कहानी संग्रह, शिकस्त, जरागाँव
की रानी', 'सड़क वापस जाती है', 'आसमान रोशन है', 'अन्नदाता', 'बावन
पत्ते, कागज की नाव', 'मेरी यादों के किनारे - उपन्यास इनको उल्लेखनीय
कृतियाँ हैं। इन्होंने सामाजिक और राजनैतिक विषमताओं पर तीखा व्यंग्य
किया है। इनकी भाषा सरल, सजीव और मुहावरेदार है।​

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Answer:

कृष्ण चन्दर अथवा कृश्न चन्दर (23 नवम्बर 1914 – 8 मार्च 1977) हिन्दी और उर्दू के कहानीकार थे। उन्हें साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उन्होने मुख्यतः उर्दू में लिखा किन्तु भारत की स्वतंत्रता के बाद मुख्यतः हिन्दी में लिखा।

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