Hindi, asked by palanisamy73, 2 months ago

8. कबीर के दोहे
पाँच पहर धंधे गया, तीन पहर गया सोय।
एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय। (कंठस्थ)
कबीरदास कहते हैं कि एक दिन में चौबीस घंटे होते हैं। इनमें पंद्रह घंटे काम-धंधों में बिता देते
हैं, नौ घंटे सोने में। हमें हरि स्मरण करने फुरसत ही नहीं मिलती। हरि स्मरण बिना किये कोई
मुक्ति कैसे पा सकते हैं? अर्थात् हरि स्मरण से ही कोई मुक्ति पा सकता है।​

Answers

Answered by mayankkumarbhupender
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Answer:

पाँच पहर धंधे गया, तीन पहर गया सोय ।

एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय।।

।। हिन्दी मे इसके अर्थ ।।

पांच पहर काम पर गए, तीन पहर नींद में बिताए, आखिरी एक पहर में भी भगवान् को याद नहीं किया, अब आप ही बताईये कि मुक्ति कैसे मिलेगी।

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