8. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए । रस्सी कच्चे धागे को खींच रही में नाव । जाने कब सुन मेरी पुकार , करें देव भवसागर पारा पानी टपके काले सकोरे , व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे । जी में उठती रह - रह हक , घर जाने की चाह है मेरे ।।
( क ) कच्चे धागे की रस्सी तथा नाव क्या है ?
( ख ) ईस्वर प्राप्ति के कवयित्री के प्रयास बेकार क्यों हो रहें हैं?
(ग)' कच्चें सकोरे ' से कवयित्री का क्या आशय है ।
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नाव का मतलब है जीवन की नैया। इस नाव को हम कच्चे धागे की रस्सी से खींच रहे होते है। कच्चे धागे की रस्सी बहुत कमजोर होती है और हल्के दबाव से ही टूट जाती है। हालाँकि हर कोई अपनी पूरी सामर्थ्य से अपनी जीवन नैया को खींचता है।
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं ? उत्तर:- कवयित्री इस संसारिकता तथा मोह के बंधनों से मुक्त नहीं हो पा रही है ऐसे में वह प्रभु भक्ति सच्चे मन से नहीं कर पा रहीं है।
कवयित्री ने जीवन जीने के साधनों को क्या कहा और उत्तर : 'कच्चे सकोरे' का अर्थ है मिट्टी का बरतन इसका प्रयोग क्यों ? नश्वर मानव-जीवन के लिए किया गया है।
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