8... रवि जम में शोभा सैरसाता,
सोम सुधा बरसाता
सब है जग कर्म में कोई
निष्क्रिय दृष्टि न आता,
है उद्देश्य नितांत तुच्छ
तृण के भी लघु जीवन को
उसी पूर्ति में वह करता है
अंत कर्ममय तने का।
प्रश्न-(1) उपर्युक्त पद्याश का उचित शीर्षक लिखिए।
(३) तूण का जीवन कैसा है ?
(३) उपर्युक्त पद्यांश का सारा लिखिए।
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प्रश्न उत्तर
Explanation:
प्रश्न-(1) उपर्युक्त पद्याश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर: उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक "जीवन का उद्देश्य" होना चाहिए।क्यूंकि इस गद्य में बताया गया है कि हर कोई अपने जीवन में किसी उद्देश्य को पूरा करने में लगा हुआ है।
(३) तूण का जीवन कैसा है ?
उत्तर: तूण का अर्थ है घास।एक छोटा सा घास
का तिनका भी अपने लघु जीवन का सदुपयोग करता है।
(३) उपर्युक्त पद्यांश का सारा लिखिए।
उत्तर: उपरोक्त पदांश का सार ये है कि किसी भी व्यक्ति या जीव का जीवन निरुद्देश नहीं है।चाहे वो कोई तिनका या घास ही क्यों ना हो।
जैसे कि सूरज और चंद्रमा रोशनी से हमें प्रकाश देते हैं।पेड़ पौधे और जीव जंतु प्रकृति का संतुलन बनाते हैं।
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