8. धात्विक चालक से प्रवाहित धारा तीन गुनी हो जाती है जबकि उसका प्रतिरोध और समय स्थिर रहता है। इस स्थितियों में, कंडक्टर में उत्पन्न उस्म -एक कारक से बढ़ जाएगी
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धात्विक चालक से प्रवाहित धारा तीन गुनी हो जाती है जबकि उसका प्रतिरोध और समय स्थिर रहता है।
इस स्थितियों में, कंडक्टर में उत्पन्न उष्मा एक कारक से बढ़ जाएगी ?
- किसी कंडक्टर में उत्पन्न उष्मा उस कंडक्टर में प्रवाहित धारा के वर्ग , कंडक्टर के प्रतिरोध और लगे समय के समानुपाती होता है ।
अर्थात, H = i²Rt
यहाँ , H कंडक्टर में उत्पन्न उष्मा , i कंडक्टर से प्रवाहित धारा R कन्डक्टर के प्रतिरोध और t समय को दर्शाता है ।
चूंकि, धात्विक चालक (कंडक्टर) से प्रवाहित धारा तीन गुनी हो जाती है जबकि उसका प्रतिरोध और समय स्थिर रहता है ।
इसीलिए, चालक में उत्पन्न उष्मा , H₁/H₂ = i₁²/i₂²
∵ i₂ = 3i₁
∴ H₁/H₂ = i₁²/(3i₁)² = 1/9
⇒H₂ = 9H₁
अतः चालक यानी कंडक्टर में उत्पन्न उष्मा , नौ गुनी हो जाएगी ।
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