English, asked by neetu2013, 1 year ago

8th class honeydew chapter 6 summary

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Answered by jyotibamba786
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This is Jody’s Fawn Summary In Hindi

I

भूमिका

जूडी के पिता पेनी को एक रैटल-स्नेक (एक जहरीला सांप) ने काट लिया था। उसने जल्दी से एक मृगी को मार दिया। फिर उसने मृगी के दिल और जिगर का उपयोग जहर बाहर निकालने के लिए किया। जूडी ने देखा कि मृगी का छोटा-सा बच्चा अकेला रह गया था।

जूडी पेनी से बात करता है।

मृगी के शिशु का विचार जूडी के मन पर छाया रहा। वह चुपचाप अपने पिता के बिस्तर के पास आ गया। उसने उससे उसका हाल पूछा। फिर उसने उससे मृग-शिशु के बारे में सोचने को कहा। उसने उससे कहा कि वह उसे मृग-शिशु को घर लाने की अनुमति दे दे। जूडी उसका लालन-पालन करना चाहता था।

पेनी अपनी अनुमति देता है।

प्रारंभ में पेनी द्विविधा में था। जूडी का तर्क था कि मृग-शिशु का पालन बोझ न होगा। जब तक कि मृग-शिशु पत्तियाँ और ऐक्रन खाने लायक न हो जाए वह जूडी का दूध पी सकता था। जूडी ने यह भी कहा कि मृग-शिशु की दुर्दशा का उत्तरदायित्व उसके परिवार का था। पेनी ने माना कि मृग-शिशु को भूख से मरने के लिए छोड़ देना कृतघ्नता होगी। अतः उसने जूडी को अनुमति दे दी। उसने कहा कि मृग-शिशु घर में लाने के लिए जाने से पहले वह अपनी माँ को इस बारे में बता दे।

जूडी अपनी माँ से बात करता है।

जूडी मेज के पास आकर बिल्कुल चुपचाप बैठ गया। माँ प्यालों में कॉफी डाल रही थी। जब जूडी ने मृग-शिशु को घर लाने की बात की तब वह चौंक पड़ी। माँ को अनिच्छुक जानकर जूडी ने बताया कि उसके पिता ने क्या कहा था। उसने कहा कि पेनी ने कहा था कि मृग-शिशु को भूखे मरने के लिए छोड़ देना कृतघ्नता होगी।

डा. विल्सन और मिल-व्हील जूडी की मदद करते हैं।

माँ कुछ कह पाती इससे पहले ही डा. विल्सने बोल उठा। उसने जूडी की माँ से कहा कि संसार में कोई भी चीज पूरी तरह मुफ्त नहीं मिलती है। उसका अभिप्राय था कि मृगी की जान लेने के बदले उन्हें उसकी कुछ कीमत चुकानी ही चाहिए। यहाँ पर कीमत थी-मृग-शिशु का पालन पोषण। मिल-व्हील बोल उठा। उसने जूडी को अपने घोड़े पर बिठा कर जंगल तक ले जाने का प्रस्ताव किया। माँ लाचार हो गयी। उसने जूडी से केवल इतना कहा कि वह मृग-शिशु को अपना दूध दे सकता था। मृग-शिशु को खिलाने के लिए वह उसे और कुछ नहीं देगी।

जूडी मिल-व्हील के साथ जाता है।

मिल-व्हील घोड़े पर चढ़ गया। उसने जूडी को घोड़े पर अपने पीछे बिठा लिया। जूडी ने अपनी माता मा बैक्सटर को आश्वासन दिया कि वह भोजन काल से पहले वापस आ जाएगा। अब मिल व्हील ने जूडी से पूछा कि उसे कैसे पता लगा कि मृग-शिशु नर है। जूडी ने उत्तर दिया कि मृग-शिशु के शरीर पर चित्तियाँ एक लाइन में थीं। यह मृग-शिशु के नर होने का संकेत थी।

II

जूडी अकेला होना चाहता है।

जंगल में पहुँचने के बाद जूडी मिल-व्हील को वापस भेजना चाहता था। वह मृग-शिशु के साथ एकांत चाहता था। दो कारण थे। प्रथम, संभव था कि जूडी को मृग-शिशु न मिले। क्योंकि संभव था कि मृग-शिशु मर चुका हो अथवा वैसे ही न मिल पाए। उस स्थिति में वह नहीं चाहता था कि मिल-व्हील उसकी निराशा को देखे। दूसरे, अगर मृग-शिशु उसे मिला तो यह मिलन बड़ा प्यारा और रहस्यपूर्ण होगा। वह किसी अन्य के साथ इसे बांटना न चाहेगा।

मिल-व्हील वापस भेजा जाता है।

अतः जूडी ने मिल-व्हील से चले जाने को कहा। उसने कहा कि झाड़ियाँ इतनी घनी थीं कि घोड़ा उनमें से होकर नहीं गुजर पायेगा। पर मिल-व्हील जूडी को अकेला छोड़ने से डरता था। उसने कहा कि जूडी जंगल में भटक सकता था, या उसे साँप डस सकता था। पर जूडी ने कहा कि मिल-व्हील को चिंता करने की आवश्यकता न थी। वह सावधान रहेगा। अतः मिल-व्हील वापस चला गया।

III

जूडी को मृग-शिशु मिलता है।

कुछ देर बाद जूडी वहाँ आ गया जहाँ मृगी की लोथ पड़ी थी। आस-पास मृग-शिशु कहीं नहीं था। उसने छोटे-छोटे खुरों के 1 निशान ढूंढने का असफल प्रयत्न किया। तभी ठीक उसके सामने – की ओर कुछ हल-चल हुई। अपने मृग-शिशु को देखकर जूडी खुशी से फूल उठा। वह काँप रहा था पर उसने उठने या भागने का प्रयत्न नहीं किया।

जूडी मृग-शिशु को उठाता है।

मृग-शिशु की कोमल गर्दन पर जूडी ने अपना हाथ रखा। उस अनुभूति से वह प्रसन्न हो उठा। बड़े धीरे से जूडी ने मृग-शिशु को घास से ऊपर उठाया। उसे डर था कि अपनी माँ के कंकाल को देखकर कहीं मृग-शिशु व्याकुल न हो उठे। इसलिए खुले मैदान को छोड़कर वह झाड़ियों से होकर गुजरा। चलना कठिन था। वह मृग-शिशु को अपनी बांहों में उठाये था।

जूडी मृग-शिशु को लेकर घर आता है।

लंबा रास्ता था। वह पगडंडी पर पहुँचा। फिर वह उस सड़क पर पहुँचा जो उसके घर की ओर जाती थी। अब वह आराम के लिए रुका। उसने मृग-शिशु को नीचे उतार दिया। वह मिमियाया और उसने जूडी की ओर देखा। जूडी मोहित हो गया। “साँस ले लें फिर मैं तुम्हें ले चलूंगा”, वह बोला। उसके पिता ने कहा था कि यदि मृग-शिशु को पहले उठाकर चलो तब वह फिर अपने आप पीछे चलने लगेगा। अत: वह धीरे-धीरे चला। मृग-शिशु नहीं हिला। अतः उसे उठाने वह वापस आया। बांहों में मृग-शिशु को उठाये वह आगे चल पड़ा। वह अधिक दूर न चल सका। वह बहुत थका हुआ था। पर इस बार जब वह चला तब मृग-शिशु उसके पीछे-पीछे चलने लगा। कुछ दूर उसने उसे चलने दिया। फिर उसने उसे दोबारा उठा लिया। मृग-शिशु को उठाये वह अपने घर के द्वार पर पहुँच गया।

जूडी मृग-शिशु को पिता के पास लाता है।

द्वार पर जूडी के मन में एक विचार आया। वह अपने पिता के कमरे में मृग-शिशु को अपने पीछे चलाकर ले जाए। पर मृग शिशु सीढ़ियाँ न चढ़ सका। अतः मृग-शिशु को गोदी में उठाए जूडी अपने पिता के बिस्तर के पास पहुँचा। जूडी ने अपने पिता को मृग-शिशु दिखाया। पिता यह देखकर प्रसन्न थे कि जूडी जो चाहता था, वह उसे मिल गया था।

जूडी मृग-शिशु को आहार देता है।

जूडी ने मृग-शिशु को दूध दिया। दूध तूंबे में था। मृग-शिशु इसे नहीं पी सका। तब जूडी ने अपनी अंगुलियाँ दूध में डालीं और उन्हें मृग-शिशु के कोमल मुँह में डाला। मृग-शिशु ने आतुरता से दूध पीया। फिर उसने अपनी अंगुलियाँ नीचे कर तूंबे में डालीं। अब मृग-शिशु तुबे से पीने लगा।

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