9/व्यायाम और खेल पर अनुछेद
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Answer: mate. first of all I will write the paragraph ' व्यायाम पर अनुछेद '
प्रस्तावना:
मानव शरीर कर्म योनि व भोग योनि दोनों है । परन्तु अस्वस्थ शरीर न तो किसी प्रकार के कर्म ही कर सकता है और न ही किसी प्रकार के सुख भोग सकता है । अस्वस्थ व्यक्ति के लिए यह जीवन नीरस बन जाता है इसलिए मानव शरीर में कर्म व भोग दोनो के लिए स्वस्थ शरीर अनिवार्य है ।
केवल अच्छी चीजे खाने-पीने से शरीर हृष्ट-पुष्ट नही बनता अपितु शरीर स्वस्थ बनाने के लिए व्यायाम की नितान्त आवश्यकता है । मात्र अच्छी चीज खाकर व्यायाम के बिना यह शरीर व्याधियों का मन्दिर बन जाता है ।
व्यायाम की महत्ता:
कहा गया है: ”स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है ।” शरीर के अस्वस्थ होने से मानसिक सताप बढ़ता है और मस्तिष्क अस्वस्थ होने से शारीरिक व्याधियाँ उत्पन्न होने लगती हैं । प्रतिदिन व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ व तन्दरुस्त रहता है । अनेक प्रकार की व्याधियाँ दूर होती हैं । स्वस्थ शरीर से मानसिक प्रसन्नता बढ़ती है, चित्त को शान्ति मिलती है ।
व्यायाम से शरीर की पुष्टि, मुख की काति, माँस पेशियो के उभार का ठीक विभाजन, जराग्नि की तीव्रता, आलस्यहीनता, स्थिरता व शरीर का हलकापन महसूस होता है । व्यायाम करने से पाचन शक्ति बढ़ती है । भूख लगती है ।
शरीर सुडौल, सुगंठित एवं सुदृढ़ बन जाता है । शरीर के सभी अवयव अपना काम ठीक करते है जिससे शरीर मे स्फूर्ति व ताजगी आती है । व्यायाम से शरीर में एक नवीन आभा आती है जो उसके तेज को प्रकट करती है ।
शरीर सुन्दर दिखाई देता है और चेहरे पर नयी रौनक आती है । व्यायाम करने वाले व्यक्ति की आयु बढ़ती है । उसकी वृद्धावस्था में यौवन फूट पड़ता है । नीरोग शरीर कभी भी जीर्ण-शीर्ण नही होता है । व्यायाम की विधियां-व्यायाम करने की अनेक विधियों बतायीं गयी हैं । प्राचीनकाल में ऋषियों ने ‘योग’ एक ऐसी विधि निकाली थी जिससे शारीरिक व मानसिक व्यायाम के साथ आत्मा की अनुभूति भी होती है ।
योग के द्वारा साधक कई वर्षो तक जीवित रहते थे, जिनके प्रमाण शास्त्रों मे मिलते हैं । शास्त्रो में योग के चौरासी लाख आसनों का अन्वेक्षण किया गया है । योगासन से शरीर के सारे अवयव संचालित हो जाते हैं ।
प्राणायाम शारीरिक व मानसिक स्थिरता के लिए सर्वोत्तम व्यायाम है । ध्यान से मन की शान्ति व आत्मा की अनुभूति होती है । इस प्रकार योग के द्वारा हम शरीर के सभी अगो को हृष्ट-पुष्ट बना सकते है । खेल भी एक प्रकार का व्यायाम है । विभिन्न प्रकार के खेलो से शरीर क्रियांशील रहता है । खिलाड़ी के अंग-प्रत्यंग अत्यन्त गतिशील हो जाते हैं । रक्त सचार बढ़ता है ।
आजकल खेलों को बहुत अधिक महत्त्व दिया जाता है । इससे एक ओर मनोरंजन होता है जिससे मस्तिष्क का विकास होता है, दूसरी ओर शरीर का व्यायाम भी होता है जिससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है । ‘प्रातःकालीन भ्रमण’ भी बहुत उत्तम व्यायाम है । प्रात: ब्रह्म महूर्त में उठ कर भ्रमण से शरीर में ताजगी व स्फूर्ति बनी रहती है ।
प्रात: के भ्रमण से शरीर के अंग तो क्रियाशील होते ही है, साथ ही साथ सुबह की वायु शरीर के लिए अमृत का काम करती है । शरीर का व्यायाम तो दिन भर के अन्य कामों से भी हो जाता है, परन्तु अमृत भर, वायु प्रात: ही मिल सकती है । प्रातःकाल के पश्चात् अनेक कारणों से वायु दूषित बन जाती है । शारीरिक व मानसिक श्रम भी व्यायाम है ।
mate now i will write the paragraph ' खेल पर अनुछेद' - प्रस्तावना
खेल शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती को सुधारने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और सरल तरीका हैं। आजकल सराकर के महत्वपूर्ण प्रयासों द्वारा खेल के क्षेत्रों में काफी सुधार आया है। हम खेलों द्वारा स्वास्थ्य और शरीर की तंदुरुस्ती को बनाए रखने के साथ ही खेलों में एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सकते हैं। यह सफलता और अच्छी नौकरी पाने का बहुत ही अच्छा तरीका है। यह नियमित रुप से मनोरंजन और शारीरिक गतिविधियों को प्राप्त करने का अच्छा साधन है। यह चरित्र और अनुशासन को बनाये रखने में भी काफी सहायक होता है, जो हमें पूरे जीवन भर थामे (पकड़े) रहती है। यह हमें सक्रिय बनाती है और हमें ऊर्जा और ताकत देती है।
खेल का मानसिक एवं शारीरिक वृद्धि पर प्रभाव
नियमित रुप से खेल खेलने से मानसिक और शारीरिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है। यह हमारे शारीरिक और मानसिक सन्तुलन को बनाए रखता है, इसके साथ ही यह हमारे एकाग्रता स्तर और स्मरण शक्ति को भी सुधारता है। खेल हमारे एकाग्रता को बढ़ाकर हमारे जीवन को शांतिपूर्ण बनाता है, इसके साथ ही यह हमें किसी भी कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए भी तैयार करता है।
खेल लोगों में मित्रता की भावना को विकसित करने में भी अहम योगदान निभाता है और दो लोगों के बीच के सभी मतभेदों को घटाता है। यह शरीर को आकार में रखता है, जो हमें मजबूत और सक्रिय बनाता है। इसके साथ ही यह हमारे मस्तिष्क को शान्तिपूर्ण रखता है, जो सकारात्मक विचारों को लाता है और हमें बहुत सी बीमारियों और विकारों से दूर रखता रहता है।
खेल बहुत तरीकों से हमारे जीवन को उन्नत करने का कार्य करता हैं। ये हमें अनुशासन और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने लिए निरंतर कार्य और अभ्यास करना सिखाता हैं। यह हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरीकों से स्वस्थ बनाये रखता हैं और इस प्रकार, सामाजिक, भावनात्मक, मानसिक और बौद्धिक रूप से फिट रखते हैं।
निष्कर्ष
यह हमें बहुत ऊर्जा और मजबूती प्रदान करने के साथ ही पूरे शरीर में रक्त संचरण में सुधार करके सभी तरह की थकान और सुस्ती को सुधारता है और शारीरिक और मानसिक अच्छाई को बढ़ावा देता है। यह एक व्यक्ति की कुशलता, कार्य क्षमता को सुधारता है और मानसिक और शारीरिक रुप से थकान होने से बचाव करता है। यह छात्रों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने का अभिन्न हिस्सा है। खेल और शिक्षा दोनों को अपने जीवन में एक साथ अपनाकर हम महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त कर सकते हैं।