a 2 min speech on any one Indian player . the points to cover are - birth , difficulties faced , medals won , games participated , reason behind their success .
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साक्षी मालिक भारत देश की एक प्रमुख महिला पहिलवान है | अगस्त 2016 में हुए ब्रेजील के रियो ओलिंपिक खेलों में भारत की ओर से पतक जीतने वाले दो मात्र खिलाडियों में से एक हैं | साक्षी भारत रेल में व्यवसायिक विभाग में काम करती है | उन की प्रतिभा और प्रदर्शन से खुश हो कर उन्हें अभी अफसर बनाया गया |
साक्षी ने 3, सितम्बर 1992 को हरियाणा के रोहतक में जन्म लिया | उनके पिताजी दिल्ली के रवाना परिवहन में काम करते हैं| साक्षी अपने नानाजी बंध्लू राम को देखकर पहिलवान बनने का फैसला लिया | वे उन दिनों में अपने इलाके में बड़े पहिलवान थे | बारह साल के उम्र से ही रोहतक में पहिलवान बनने के लिए प्रस्शिक्षण शुरू कर दी |
साक्षी के लिए और उनके ट्रेनर दोनों का लोगों ने मजाक उड़ाया क्योंकि कुश्ती लड़कियों के लिए नहीं थी | लेकिन साक्षी ने अपने लक्ष्य से नहीं हटा | साक्षी शारीरिक शिक्षा में मास्टर डिग्री की |
साक्षी लोगों में प्रसिद्ध तब हुई जब उन्होंने 2010 में जूनियर वर्ल्ड प्रतियोगिता में 58 किलो विभाग में कांस्य पतक जीती | फिर बाद में 2014 में दावे शुल्टुज़ अंतरजातीय टूर्नामेंट में स्वर्ण पतक जीती | बस पिछले तीन साल से वे ओलिम्पिक खेलों में मैडल (पतक) जीतने की स्वप्न देखना ही नहीं उसके लिए कड़ी से कड़ी मेहनत की |
फिर 2014 ग्लासगो कामनवेलत खेलों में बड़ी खिलाडियों को हराया और रजत पतक जीती | और पिछले साल को दोहा में हुई एशियाई प्रतियोगिताओं में कांस्य पतक भी अपने गले में लटकाया | ओलंपिक्स में अच्छा प्रदर्शन किया | कांस्य पतक के मुकाबले में वह अपने प्रतिद्वंदी से हार रही थी| फिर अंतिम क्षणों में अपने आप को संभाला | आख़िरी पंद्रह सेकनों में पूरा भारत देश की उम्मीदों को और आशीर्वाद को याद किया | शरीर की पूरी शक्ती जुटाई और प्रतिद्वंदी को खेल के मैदान से बहार हटा कर नीचे गिराकर विजयी हुई | एक बिल्लियन भारतीय वासियों का गौरव रखा |
साक्षी की जीत का एक मात्र कारण है चित्त की ध्रुडता | यह हम सब को जरूर उनसे सीखना है | साक्षी अपने देश की जीत के लिए लड़ी | और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार भी पाई | कृषि से दुर्भिक्ष नास्ति – यह उनकी जीवन से विदित होता है | साक्षी ने करोंड़ों के पुरस्कार कमाई और भारतीय नारी के लिए एक आदर्श बन गयी |
साक्षी अपने जीवन में अनुशासन रखती है | अपने गुरु पर भरोसा करती है और सकारात्मक रवैया से सोचती है | और जीवन में एक ऊंचे लक्ष्य की जरूरत है और उसको पाने की ओर लगातार बार बार कृषि | मैं तो अपने पढ़ाई मैं , व्यवसाय में और खेलों में उनकी तरह कोशिश करूंगी और कीर्ती , ईमान और धन जर्रोर कमाऊंगी | कहिये मेरे साथ जय साक्षी |
पी.वी. सिंधु जिनको हम पुसरला वेंकट सिंधु के नाम से भी जानते हैं, जोकि वर्ष 2016 के रियो समर ओलंपिक की एक शानदार बैडमिंटन खिलाड़ी और रजत पदक विजेता हैं। आंध्र प्रदेश की इस युवा बैडमिंटन खिलाड़ी का जन्म सन् 1995 में पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी पी.वी. रमण और पी.विजया के यहाँ हुआ था। सिंधु के पिता को अपने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए अर्जुन पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था। सिंधु को वर्ष 2014 के अधिकांश बैडमिंटन खेलों के लिए शीर्ष 10 की रैंकिंग में शामिल किया गया है, वर्तमान समय में सिंधु सबसे कम उम्र की प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं
वर्ष 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप बने पुलेला गोपीचंद की जीत से प्रेरणा लेकर और उनसे प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपने कैरियर के रूप में चुना, सिंधु ने महज आठ वर्ष की आयु से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और यही कारण है कि क्यों उन्होंने वॉलीबॉल की जगह बैडमिंटन को चुना, जबकि उनके माता-पिता पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं। सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार की बैडमिंटन अदालत (खेल का मैदान) में महबूब अली के मार्गदर्शन में अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरूआत की। इसके बाद, वह अपने खेल की कुशलता को बढ़ाने के लिए पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई।