A essay of 150 words on
*अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम से लोकतंत्र भावना आहत होती हैं ।*
I don't want answer from Google
Answers
Answer:
then answer from chrome
Answer:
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें।
किसी सूचना या विचार को बोलकर, लिखकर या किसी अन्य रूप में बिना किसी रोकटोक के अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहलाती है। अत: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हमेशा कुछ न कुछ सीमा अवश्य होती है। भारत के संविधान के अनुच्छेद १९(१) के तहत सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गयी है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्यक्त करने का एक राजनीतिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार-प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान-प्रदान करने का अधिकार रखता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं है और इस पर समय-समय पर युक्ति-नियुक्ति निर्बंधन लगाए जा सकते हैं। राष्ट्र-राज्य के पास यह अधिकार सुरक्षित होता है कि वह संविधान और कानूनों के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किस हद तक जाकर बाधित करने का अधिकार रखता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे- वाह्य या आंतरिक आपातकाल या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अभिव्यक्ित की स्वंतत्रता सीमित हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र की सार्वभौमिक मानवाधिकारों के घोषणा पत्र में मानवाधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा जिसके तहत वह किसी भी तरह के विचारों और सूचनाओं के आदान-प्रदान को स्वतंत्र होगा।