a essay on last day of exams in hindi
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हमारे स्कूल की एक प्रथा यह है कि नवीं कक्षा के विद्यार्थी दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को विदाई की पार्टी देते हैं । वे इस स्वइदाई दिवस को अधिकाधिक स्मरणीय दिवस बनाने का प्रयत्न करते हैं । वे एक विदाई भोज की व्यवस्था करते है । जिसका समूचा व्यय वे स्वयं उठाते हैं । वे समारोह को सफल बनाने की पूरी कोशिश करते हैं ।
इस वर्ष 20 फरवरी को स्कूल का मेरा अंतिम दिन था । हर दिन की तरह स्कूल लगने की घंटी बजी । दसवीं कक्षा के सभी विद्यार्थी उदास लग रहे थे । पहले पीरियड़ के बाद उच्च कक्षओं के सभी विद्यार्थी और अध्यापक स्कूल के हाल में एकत्र हुए । प्रिंसिपल और अध्यापक कुर्सियों पर बैठ गए तथा
समारोह का प्रारंभ नवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने किया । उन्होने कविता पाठ प्रारम्भ किया । कुछ लोगों ने गाने गाये और अवसर के अनुकूल भाषण दिए । समूचा कार्यक्रम दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों की ओर इंगित था ।
इसके बाद हमारे क्लास टीचर उठें । उन्होंने जो भाषण दिया, उससे हम सभी शीघ्र ही एक नए जीवन में प्रवेश करेंगे । हाई स्कूल पास करते ही हमारे निश्चिन्त जीवन का अंत हो जायेगा और हमें जीवन की कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ेगा ।
उन्होंने हमें सलाह दी कि हम साहस और ईमानदारी से जीवन की कठिनाइयों का मुकावला करे । उन्होंने कहा कि हम अपने व्यवहार मे ईमानदारी, सच्चाई और स्पष्टवादिता कभी न छोड़े । उन्होने यह भी कहा कि हम अपने जीवन का कोई लक्ष्य तय कर लें और ईमानदारी से उसे प्राप्त करने में जुट जाये ।
अन्त में प्रिंसिपल महोदय अपने स्थान से उठे । उनके उठते ही चारों ओर से तालियां बजने लगीं । उन्होंने संक्षिप्त, लेकिन सारगर्भित भाषण दिया । उन्होने अनेक वर्षों तक रकूल से हमारे सम्बन्धों की चर्चा की । उन्होंने आशा व्यक्त की कि हममें से प्रत्येक विद्यार्थी भविष्य में भी रकूल की उन्नति का ध्यान रखेगा । उन्होने यह भी बताया कि हम सभी स्कूल योग्य अध्यापको से पढ़कर ही जीवन-संग्राम में प्रवेश करने के लायक बने है ।
उन्होंने सरल जीवन और उच्व विचारों के लाभों को विस्तार से समझाया । अन्त में उन्होने हम सभी के उज्ज्वल भविष्य और जीवन मे सफलता की कामना की ।