अंग्रेजों के मित्र कौन थे-
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कानपुर के राजा
ग्वालियर के राजा
पंजाब के राजा
उदयपुर के राजा
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Answer:
कानपुर के राजा।
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Answer:
ग्वालियर के राजा.
Explanation:
घटना क्रम:---
झांसी में हुए भीषण युद्ध के बाद रानी लक्ष्मीबाई वहाँ से निकलने में कामयाब हो गयीं। उधर तात्या टोपे को भी हार का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में इरादा ग्वालियर से मदद लेने का बना। सिपाहियों में फैली क्रांति की चिंगारी ग्वालियर के सैनिकों में भी फैल चुकी थी। ज़ाहिर है, अंग्रेज़ों की कृपापात्र जयाजी राव में घबराहट थी। उसने छल से तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई को पकड़ने की योजना बनायी और आठ हजार घुड़सवार लेकर बहादुरपुर गाँव पहुँचा। लेकिन वहाँ उसकी सेना के ज्यादातर सिपाही, भारतीय पक्ष से मिल गये (तात्या टोपे के संपर्क और प्रयास का नतीजा था) और सिंधिया को अपने अंगरक्षकों के साथ जान बचाकर भागना पड़ा। ग्वालियर पर क्रांतिकारियों का कब्जा हो गया। एक भारी-भरकम जश्न के बीच नाना साहब को पेशवा घोषित किया गया। इस बीच जनरल ह्यूरोज़ और दूसरे अफ़सरों के बीच चले पत्रव्यवहार से पता चलता है कि अंग्रेज़ इस नतीजे पर पहुँच चुके थे कि अगर सिंधिया ने “बग़ावत का साथ दिया तो उन्हें भारत से बोरिया बिस्तर बांधना पड़ेगा।”
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