Hindi, asked by Anonymous, 10 months ago

अाज का सवाल..
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रस क्या है?
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Answered by RanveerPaul
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रस क्या होते हैं

रस का शाब्दिक अर्थ होता है – आनन्द। काव्य को पढ़ते या सुनते समय जो आनन्द मिलता है उसे रस कहते हैं। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है। प्राचीन भारतीय वर्ष में रस का बहुत महत्वपूर्ण स्थान था। रस -संचार के बिना कोई भी प्रयोग सफल नहीं किया जा सकता था। रस के कारण कविता के पठन , श्रवण और नाटक के अभिनय से देखने वाले लोगों को आनन्द मिलता है।

रस के अंग :-

1. विभाव

2. अनुभाव

3. संचारी भाव

4. स्थायीभाव

1. विभाव :- जो व्यक्ति , पदार्थ, अन्य व्यक्ति के ह्रदय के भावों को जगाते हैं उन्हें विभाव कहते हैं। इनके आश्रय से रस प्रकट होता है यह कारण निमित्त अथवा हेतु कहलाते हैं। विशेष रूप से भावों को प्रकट करने वालों को विभाव रस कहते हैं। इन्हें कारण रूप भी कहते हैं।

स्थायी भाव के प्रकट होने का मुख्य कारण आलम्बन विभाव होता है। इसी की वजह से रस की स्थिति होती है। जब प्रकट हुए स्थायी भावों को और ज्यादा प्रबुद्ध , उदीप्त और उत्तेजित करने वाले कारणों को उद्दीपन विभाव कहते हैं।

आलंबन विभाव के पक्ष :-

1. आश्रयालंबन

2. विषयालंबन

1. आश्रयालंबन :- जिसके मन में भाव जगते हैं उसे आश्रयालंबन कहते हैं।

2. विषयालंबन :- जिसके लिए या जिस की वजह से मन में भाव जगें उसे विषयालंबन कहते हैं।

2. अनुभाव :- मनोगत भाव को व्यक्त करने के लिए शरीर विकार को अनुभाव कहते हैं। वाणी और अंगों के अभिनय द्वारा जिनसे अर्थ प्रकट होता है उन्हें अनुभाव कहते हैं। अनुभवों की कोई संख्या निश्चित नहीं हुई है।

जो आठ अनुभाव सहज और सात्विक विकारों के रूप में आते हैं उन्हें सात्विकभाव कहते हैं। ये अनायास सहजरूप से प्रकट होते हैं | इनकी संख्या आठ होती है।

1. स्तंभ

2. स्वेद

3. रोमांच

4. स्वर – भंग

5. कम्प

6. विवर्णता

7. अश्रु

8. प्रलय

3. संचारी भाव :- जो स्थानीय भावों के साथ संचरण करते हैं वे संचारी भाव कहते हैं। इससे स्थिति भाव की पुष्टि होती है। एक संचारी किसी स्थायी भाव के साथ नहीं रहता है इसलिए ये व्यभिचारी भाव भी कहलाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी जाती है।

1. हर्ष

2. चिंता

3. गर्व

4. जड़ता

5. बिबोध

6. स्मृति

7. व्याधि

8. विशाद

9. शंका

10. उत्सुकता

11. आवेग

12. श्रम

13. मद

14. मरण

15. त्रास

16. असूया

17. उग्रता

18. निर्वेद

19. आलस्य

20. उन्माद

21. लज्जा

22. अमर्श

23. चपलता

24. धृति

25. निंद्रा

26. अवहित्था

27. ग्लानि

28. मोह

29. दीनता

30. मति

31. स्वप्न

32. अपस्मार

33. दैन्य

34. सन्त्रास

35. औत्सुक्य

36. चित्रा

37. वितर्क

4. स्थायीभाव :- काव्यचित्रित श्रृंगार रसों के मुलभुत के कारण स्थायीभाव कहलाते हैं। जो मुख्य भाव रसत्व को प्राप्त होते सकते हैं। रसरूप में जिसकी परिणति हो सकती है वे स्थायी होते हैं। स्थाईभावों की स्थिति काफी हद तक स्थायी रहती है। इसमें आठ रसों की स्थिति प्राप्त हो सकती है।

यह भी पढ़ें : Chhand In Hindi , Sandhi In Hindi

रस के प्रकार :-

1. श्रृंगार रस

2. हास्य रस

3. रौद रस

4. करुण रस

5. वीर रस

6. अदुभत रस

7. वीभत्स रस

8. भयानक रस

9. शांत रस

10. वात्सल्य रस

11. भक्ति रस


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