(a) किसी वेधशाला की विशाल दूरबीन के अभिदृश्यक की फ़ोकस दूरी 15 m है। यदि 1.0 cm फ़ोकस दूरी की नेत्रिको प्रयुक्त की गयी है, तो दूरबीन का कोणीय आवर्धन क्या है? (b) यदि इस दूरबीन का उपयोग चंद्रमा का अवलोकन करने में किया जाए तो अभिदृश्यक लेंस द्वारा निर्मित चंद्रमा के प्रतिबिंब का व्यास क्या है? चंद्रमा का व्यास m तथा चंद्रमा की कक्षा की त्रिज्या m है।
Answers
= 15 m , = 1.0 cm = 0.01 m
a)
दूरबीन की कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता )
m = - f_{o} / f_{e}
= 15 / 0.01
= -1500 = | 1500 |
b)
चन्द्रमा द्वारा अभिदर्शक पर बना दर्शन कोण
α = चाप / त्रिज्या
= 3.48 × 10^6 m/ 3.8 × 10^8
= 0.916 × 10^-2
α = 0.00916 रेडियन
अतः प्रतिबिम्ब का व्यास = m × दर्शन कोण
= 1500 × 0.00916
= 13.7 cm
अभिदृश्यक लेंस की फोकल लंबाई, fo = 15 m = 15 × 10^2 cm
नेत्रिका की फोकल लंबाई, fe = 1.0 cm
(a ) दूरबीन का कोणीय आवर्धन निम्नानुसार है:
α = fo / fe
= 15 × 10^2 / 1. 0
= 1500
इसलिए, दी गई अपवर्तक दूरबीन का कोणीय आवर्धन 1500 है।
(b) चंद्रमा का व्यास, d = 3.48 × 106 m
चंद्र कक्षा की त्रिज्या, ro= 3.8 × 108 m
अभिदृश्यक लेंस द्वारा निर्मित चंद्रमा की प्रतिबिंब का व्यास d' है।
चंद्रमा के व्यास द्वारा घटाया गया कोण प्रतिबिंब द्वारा समेटे कोण के बराबर है।
d / ro = d'/ fo
3.48 x 10^6 / 3.8 x 10^8 = d' / 15
∴ d' = 3.48 x 10^-2 x 15 / 3.8
= 13.74 x 10^-2 m = 13.74 cm
इसलिए, उद्देश्य लेंस द्वारा गठित चंद्रमा की छवि का व्यास 13.74 cm है