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Explanation:
चुंबकीय ध्रुव नति के उर्द्धाधर झुकाव को प्रदर्शित करता है ध्यातव्य है कि चुंबकीय नति क्षैतिज समतल एवं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में बनने वाला कोण है। वस्तुत: पृथ्वी एक बड़े चुंबक की भाँति कार्य करती है।
पृथ्वी के गर्भ में ठोस आंतरिक कोर है जिसके चारों ओर बाह्य कोर द्रव अवस्था में है जिसमें लौह एवं निकिल जैसे भारी तत्त्व पाए जाते हैं।
पृथ्वी के घूर्णन के कारण पृथ्वी का द्रव अवस्था वाला बाह्य कोर इलेक्ट्रिक धारा उत्पन्न करता है। इससे चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है।
ध्रुवों पर जहाँ से ये चुंबकीय धाराएँ प्रवाहित होती हैं वहीं चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव सर्वाधिक होता है। इन्हीं स्थानों को चुंबकीय ध्रुव कहा जाता है।
पृथ्वी के दो चुंबकीय ध्रुव हैं यथा उत्तरी चुंबकीय ध्रुव तथा दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव तथा कंपास की सूई हमेशा उत्तरी चुंबकीय ध्रुव की ओर संकेत करती है।
गौरतलब है कि पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव (उत्तरी व दक्षिणी) पृथ्वी के वास्तविक भौगोलिक ध्रुवों से भिन्न होते हैं।