Hindi, asked by sohampalkar589, 5 months ago


अ] निम्नलिखित में से किसी एक पत्र का प्रारूप तैयार कीजिए
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को चार दिन की छुटटी
की मांग करने हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।​

Answers

Answered by shreyapatil792
4

Answer:

Example 1)सेवा में,

श्री प्रधानाचार्य जी,

गुरुकुलपब्लिक स्कूल,

चौक लखनऊ

श्रीमान जी ,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 8 का छात्र हूँ. कल स्कूल में छुट्टी के बाद घर आते समय साइकिल से गिर जाने के कारण मेरे हाथ में चोट आ गयी है. जिसके कारण मेरे हाथ बहुत तेज दर्द हो रहा है. डॉक्टर ने तीन दिन तक आराम करने को बोला है. अतः श्रीमान जी से निवेदन है मुझे दिनांक…….से…… तक तीन दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें. उसके लिए मैं आपकी आभारी रहूंगा ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य

रमेश कुमार

कक्षा – 8

Example 2)सेवा में,

श्री प्रधानाचार्य जी,

गुरुकुलपब्लिक स्कूल,

चौक लखनऊ

श्रीमान जी ,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा 8 का छात्र हूँ. कल रात से मुझे बुखार आ रहा है. डॉक्टर के वायरल फीवर बताया है. अतः श्रीमान जी से निवेदन है मुझे दिनांक…….से…… तक एक सप्ताह का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें. उसके लिए मैं आपकी आभारी रहूंगा ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य

रमेश कुमार

कक्षा – 8

Answered by kewalkrishan92699
3

Answer:

Hindi Grammar

Patra-lekhan(Letter-writing)-(पत्र-लेखन)

धन्यवाद सम्बन्धी पत्र

धन्यवाद... किसी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक छोटा-सा शब्द हैं। कहने को तो यह मात्र एक छोटा-सा शब्द हैं, किन्तु इसका अर्थ व्यापक हैं।

धन्यवाद दिल से किया जाना चाहिए। बहुत-से व्यक्ति इस बात को भली-भाँति समझते हैं कि यदि किसी ने उनके प्रति कुछ कार्य किया हैं, कुछ उपहार दिया हैं, अथवा ऐसे मौके पर काम आए हैं, जब सब ने साथ छोड़ दिया, तब धन्यवाद देना उनका फर्ज बनता हैं।

धन्यवाद जितनी जल्दी दिया जाए, उतना ही अच्छा होता हैं। बहुत-से व्यक्ति आमने-सामने धन्यवाद दे देते हैं, कुछ पत्रों के माध्यम से धन्यवाद व्यक्त करते हैं।

ऐसे ही धन्यवाद सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण यहाँ दिए गए हैं-

(1) आपकी खोई हुई पुस्तक किसी अपरिचित द्वारा लौटाए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए।

21, जी.टी.बी.नगर,

दिल्ली।

दिनांक 23 अप्रैल, 20XX

आदरणीय कैलाश मिश्रा जी,

नमस्कार !

कल मुझे डाक से एक पार्सल मिला। पार्सल खोलने पर मुझे यह देखकर अत्यन्त आश्चर्य हुआ साथ ही प्रसन्नता भी हुई कि उसमें मेरी खोई हुई वही पुस्तक मौजूद थी, जिसके लिए मैं काफी परेशान था। पहले तो मैं विश्वास ही नहीं कर पाया कि वर्तमान युग में भी कोई व्यक्ति इतना भला हो सकता हैं, जो डाक-व्यय स्वयं देकर दूसरों की खोई वस्तु लौटाने का कष्ट करे। मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। यह पुस्तक बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती तथा मेरे लिए यह एक अमूल्य वस्तु हैं। आपने पुस्तक लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। इसके लिए मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा।

एक बार पुनः मैं आपको धन्यवाद करता हूँ।

आपका शुभाकांक्षी,

इन्द्र मोहन

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