a nibandha on seva hi ishwar hai
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सेवा ही ईश्वर है। कर्म ही इंसान की पहचान हैं। एक धार्मिक व्यक्ति सब से प्रेम करता है। वह किसी से द्वेष नहीं करता। वह सबका भला करता है। उसके लिए सब समान होते हैं। वह सबको बराबर से आदर करता है। वह लड़ाई नहीं करता। सबके साथ प्रेम से व्यवहार करता है। वह कभी चिल्लाता नहीं है और हमेशा मधुर बोलता है। वह अपनी बातों से किसी को दुःख नहीं पहुँचाता।
वह नियमों का पालन करता है और एक नियमित जीवन व्यतीत करता। वह एक संतुलित जीवन व्यतीत करता है। वह समय की पाबन्दी, ईमानदारी, जैसे मूल्यों का पालन करता है। वह साधारण जीवन शैली और उच्च विचारों में विश्वास करता है।
वह सुख दुःख में समान रहता है। वह अपनी प्रशंसा सुनकर अत्यधिक उत्साहित या अप्रशंसा सुनकर निराश नहीं होता। वह आत्म विश्वासी होता है। वह परिस्थितियों से विचलित नहीं होता। दुःख के समय में भी प्रयत्न करता रहता है और एक दिन उसके बुरे दिन भी भले दिनों में परिवर्तित हो जाते हैं।
वह समाज की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करता है। वह ऐसी संस्थायें स्थापित करता है जहाँ लोग समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं। बच्चों के लिए सुविधायें उपलब्ध करवाता है। सब बच्चों को पढ़ने का अवसर प्रदान करता है। विद्यालयों में बच्चों के दोपहर के खाने का प्रबंध करवाता है।
महिलाओं के लिए उचित सेवायें उपलब्ध करवाता है। ऐसी नीति बनवाता है जिससे प्रत्येक घर में नारी को उचित स्थान मिलता। समाज में महिलाओं और पुरुषों को बराबर स्थान मिले और किसी का शोषण न हो, इसके लिए कार्य करता है।
समाज में भेद भाव, ऊँच नीच की भावनाओं को कम करने के लिए प्रयत्न करता है। सबके लिए रोज़गार उपलब्ध करवाता है। इस प्रकार परोपकार करने में जीवन व्यतीत करता है।
इस प्रकार वह मनुष्य की सेवा करके भगवान को प्रसन्न करता है और उनको प्राप्त करता है। वह मानव सेवा को माधव सेवा मानता है।