a poem on india' s beauty with bhav in hindi
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जहाँ हर चीज है प्यारीसभी चाहत के पुजारीप्यारी जिसकी ज़बांवही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल हैवो प्यारा ताज महल हैप्यार का एक निशांवही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ फूलों का बिस्तर हैजहाँ अम्बर की चादर हैनजर तक फैला सागर हैसुहाना हर इक मंजर हैवो झरने और हवाएँ,सभी मिल जुल कर गायेंप्यार का गीत जहांवही है मेरा हिन्दुस्तां
जहां सूरज की थाली हैजहां चंदा की प्याली हैफिजा भी क्या दिलवाली हैकभी होली तो दिवाली हैवो बिंदिया चुनरी पायलवो साडी मेहंदी काजलरंगीला है समांवही है मेरा हिन्दुस्तां
कही पे नदियाँ बलखाएंकहीं पे पंछी इतरायेंबसंती झूले लहराएंजहां अन्गिन्त हैं भाषाएंसुबह जैसे ही चमकीबजी मंदिर में घंटीऔर मस्जिद में अजांवही है मेरा हिन्दुस्तां
कहीं गलियों में भंगड़ा हैकही ठेले में रगडा हैहजारों किस्में आमों कीये चौसा तो वो लंगडा हैलो फिर स्वतंत्र दिवस आयातिरंगा सबने लहरायालेकर फिरे यहाँ-वहांवहीँ है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल हैवो प्यारा ताज महल हैप्यार का एक निशांवही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ फूलों का बिस्तर हैजहाँ अम्बर की चादर हैनजर तक फैला सागर हैसुहाना हर इक मंजर हैवो झरने और हवाएँ,सभी मिल जुल कर गायेंप्यार का गीत जहांवही है मेरा हिन्दुस्तां
जहां सूरज की थाली हैजहां चंदा की प्याली हैफिजा भी क्या दिलवाली हैकभी होली तो दिवाली हैवो बिंदिया चुनरी पायलवो साडी मेहंदी काजलरंगीला है समांवही है मेरा हिन्दुस्तां
कही पे नदियाँ बलखाएंकहीं पे पंछी इतरायेंबसंती झूले लहराएंजहां अन्गिन्त हैं भाषाएंसुबह जैसे ही चमकीबजी मंदिर में घंटीऔर मस्जिद में अजांवही है मेरा हिन्दुस्तां
कहीं गलियों में भंगड़ा हैकही ठेले में रगडा हैहजारों किस्में आमों कीये चौसा तो वो लंगडा हैलो फिर स्वतंत्र दिवस आयातिरंगा सबने लहरायालेकर फिरे यहाँ-वहांवहीँ है मेरा हिन्दुस्तां
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