a poem on lokmanya tilak on ocasion of its birthday
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राष्ट्र पितामह लोकमान्य ने, देश को दिया था नारा,
भारत माँ की स्वतंत्रता है, जन्मसिद्ध अधिकार हमारा।
उनसे हो भयभीत शत्रु ने, कठोर सज़ा सुनाई,
काल पानी, जेल मांडला, छः वर्षों तक पाई।
गीता रहस्य का ज्ञान दिया, जागृति का बिगुल बजाया,
गणपति पूजा प्रारम्भ कर, एकता का पाठ पढ़ाया।
हम आज़ाद, न भूलें हम, देश भक्तों के कुर्बानी,
आज़ादी के आनंद उठाते, उनकी मेहरबानी।
भारत माँ की स्वतंत्रता है, जन्मसिद्ध अधिकार हमारा।
उनसे हो भयभीत शत्रु ने, कठोर सज़ा सुनाई,
काल पानी, जेल मांडला, छः वर्षों तक पाई।
गीता रहस्य का ज्ञान दिया, जागृति का बिगुल बजाया,
गणपति पूजा प्रारम्भ कर, एकता का पाठ पढ़ाया।
हम आज़ाद, न भूलें हम, देश भक्तों के कुर्बानी,
आज़ादी के आनंद उठाते, उनकी मेहरबानी।
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