a short essay on Ekta Hi Pehchan Hai Hindi Desh Ki Shaan Hai
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आजकल समाज से एकता मानो खत्म ही हो गई है। एकता ने होने के कारण ही आज हमारे समाज में इतनी भिन्नता है। एकता में शक्ति है यह बात हम सब जानते हैं।
जानते हुए भी हम एकल नहीं है। हम भिन्न- भिन्न रूपों में बंटें हुए हैं। आज देश में इतनी भिन्नता , इतनी लड़ाई, इतना मन मोटाव है जिसका एक ही समाधान है एकता। यदि हम सब साथ आकर किसी समस्या का समाधान का प्रभाव अलग होता है।
आज कोई भी घटना हमारे सामने होती है हम विरोध नहीं करते हैं मगर यदि किसी का साथ मिल जाता है तो हम आसानी से विरोध करते हैं। इसलिए हम सबको साथ रहना चाहिए। धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर किसी को अलग नहीं करना चाहिए। सब इंसान हैं सब साथ रहकर एक दूसरे की शक्ति है। देश की शक्ति है।
जानते हुए भी हम एकल नहीं है। हम भिन्न- भिन्न रूपों में बंटें हुए हैं। आज देश में इतनी भिन्नता , इतनी लड़ाई, इतना मन मोटाव है जिसका एक ही समाधान है एकता। यदि हम सब साथ आकर किसी समस्या का समाधान का प्रभाव अलग होता है।
आज कोई भी घटना हमारे सामने होती है हम विरोध नहीं करते हैं मगर यदि किसी का साथ मिल जाता है तो हम आसानी से विरोध करते हैं। इसलिए हम सबको साथ रहना चाहिए। धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर किसी को अलग नहीं करना चाहिए। सब इंसान हैं सब साथ रहकर एक दूसरे की शक्ति है। देश की शक्ति है।
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Hindi-Hamara Abhimaan
Hindi bhasha kewal hamare bhasha hi nhi balki poore vishav main hamaari pehchaan hai.Aaj vishav main kayi desh hain jahhan Hindi bhasha universities main padhayi jaati hai.Videshi bacche apni khushi se Hindi bhasha ko padhne ke liye chunte hain.
Per hamare desh main log hindi se zyada English padhne chahte hain.Aajkal schoolon main bhi English bhasha bolni compulsory per do you hai.English bhasha ke saath saath hindu bhasha ko bhi badhawa milna chahiye
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