a short essay on ramdhari singh dinkar in hindi
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दिनकर जी ने पटना विश्वविद्यालय से बी०ए० (आनर्स) की परीक्षा उत्तीर्ण की। छात्र जीवन में ही ये कविता रचने लगे थे। कुछ समय तक अध्यापन कार्य करने के पश्चात ये सीतामढ़ी में सब रजिस्ट्रार बने। सन 1950 ई० में ये मुजफ्फरपुर के महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष बने। सन 1952 ई० में इनको राज्य सभा का सदस्य मनोनीत किया गया।
दिनकर जी केन्द्रीय सरकार की हिन्दी समिति के परामर्शदाता तथा भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुल पति भी रहे। इनको 'उर्वशी' नामक ग्रन्थ पर 'ज्ञानपीठ' पुरस्कार भी प्रदान किया गया। भारत सरकार ने इनको 'पद्म भूषण' की उपाधि प्रदान की। सन 1974 ई० में इनका स्वर्गवास हो गया।
दिनकर की प्रमुख काव्य-कृतियाँ हैं-- 'रेणुका', 'हुंकार', 'रश्मिरथी', 'रसवंती', 'नील कुसुम', 'कुरुक्षेत्र', 'उर्वशी' आदि। उनकी प्रमुख गद्य-कृतियाँ हैं-- 'संस्कृत के चार अध्याय', 'शुद्ध-कविता की खोज', 'साहित्योंमुखी', 'दिनकर की डायरी', 'काव्य की भूमिका', 'रेती के फूल', 'मिट्टी की ओर', 'अर्धनारीश्वर' आदि, जिनमें उनके विभिन्न विचारात्मक एवं समीक्षात्मक निबंध संग्रहीत हैं।
दिनकर जी आरम्भ से ही लोक के प्रति समर्पित कवि रहे हैं। राष्ट्रीय आन्दोलनों, गांधी जी की विचार धारा तथा बढ़ती हुई समाज की विशेषताओं, अत्याचारों ने मिलकर दिनकर जी की आत्मा को प्रभावित किया। यही कारण है कि उनके काव्य में राष्ट्रीयता, देश प्रेम, वर्तमान पतन एवं शोषण के प्रति विद्रोह, उद्बोधन आदि है।
'दिनकर' जी हमारे राष्ट्रकवि हैं। उनकी कविताओं ने देश की सोयी हुई जनता को जगाया है। वे मानवता के महान पुजारी थे। वे देश में एक नई चेतना लाना चाहते थे। उन्होंने भारत के प्राचीन गौरव का गुणगान किया जिससे हम अपने भविष्य को उज्ज्वल बना लें।
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भारत कई भाषाओं और एक जीवंत साहित्यिक संस्कृति का देश है। भारत की प्रत्येक भाषा में प्रसिद्ध लेखक और कवि हैं जिन्होंने अपनी रचनात्मक अभिव्यक्तियों से भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध किया है। भारत के ऐसे ही एक महान कवि रामधारी सिंह दिनकर हैं, जिनका जन्म 23 सितंबर 1908 को हुआ था।
रामधारी सिंह दिनकर को सबसे महत्वपूर्ण भारतीय कवियों में से एक माना जाता है जिन्होंने हिंदी भाषा में लिखा था। उनकी प्रेरणादायक और प्रभावित करने वाली कविताएँ आज भी युवा और बुजुर्ग सुनाते हैं जो आज हिंदी साहित्य की सराहना करते हैं। अपने जीवनकाल के दौरान, रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं ने कई लोगों को प्रेरित किया और वर्तमान समय में भी ऐसा करना जारी है। 1975 में, भारत में आपातकाल के दौरान, जब नागरिक अधिकार खतरे में थे, राजनीतिक कार्यकर्ता जयप्रकाश नारायण ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता has सिंघासन खोलो कर के जानती है ’(सिंहासन छोड़ो, लोग आ रहे हैं) के शब्दों का प्रयोग किया। दिल्ली के रामलीला मैदान में 100,000 लोगों की भीड़ को प्रेरित करने के लिए। नई दिल्ली में नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा रैलियों के दौरान 2102 में कविता फिर से प्रतिध्वनित हुई। इस राष्ट्रीय कवि या 'राष्ट्रकवि' के शब्द प्रेरणा का स्रोत प्रदान करते हैं और लिट्रेसर्स के बीच देशभक्ति के उत्साह को बढ़ावा देते हैं।