A short poem on flowers in Hindi
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फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।
टूट जाये डाली से फिर भी,
न शोक मनाता जीवन में,
बन श्रंगार हर्ष से वह,
नही इठलाता एकपल को।
कभी हृदय की शोभा बनता,
कभी चरणों में शीश नवाता वो,
हर्ष सहित स्वीकार कर दायित्व,
निभाता अपने कर्तव्यों को।
क्षणिक जीवन है फिर भी उसका
व्यर्थ नही गवाता वो।
देकर अपना सर्वस्य वह,
करता सफल लघु जीवन को।
फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।
PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST
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Mai gulab ka full ban jaunga
madhur madhur muskaunga
pas mere Jo titli aaye
usk dost bn jaunga.(◍•ᴗ•◍)❤
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