a short story on beti bachao beti padhao, moral story
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Answer:एक छोटा सा गरीब परिवार था।जिस परिवार में माता पिता और उनकी एक छोटी बेटी रहती थी।
दिन बीतते जा रहे थी बेटी बड़ी होती जा रही थी।एक दिन माता ने पिता से कहा”अजी सुनते हो,बेटी बड़ी हो रही है और अब उसकी शादी का खर्च हम कहा से निकालेनेगे हमे दो वक़्त कि रोटी नसीब नहीं होती और कहा से हम आपने बेटी की शादी करवायेंगे?”कुछ देर तक उन्होंने वार्तालाप की और एक दिल पर पत्थर रखा कर उन्होंने निर्णय लिया की वह बेटी को मार कर गाड़ देंगे।
अगले दिन का सूरज निकला।
माँ ने बेटी को सुबह सुबह उठा कर नहलाई औऱ बड़े ही प्यार से उसके लिए खाना बनाकर आपने हाथो से खिलाया और बार बार उसको चूमती रही।यह देख बेटी बोली”माँ मिझे कही दूर भेज रही हो क्या?आपने आज तक तो ऐसे प्यार नहीं किया पर आज ऐसा क्यों माँ?”
इतना सुनने पर माँ की आँखों से आंसू गिरने लगे।थोड़ी ही देर में पिता दरवाजे से अंदर आये।उनके हाथों में कुल्हाड़ी और चाकू था।माँ ने दिल पर पत्थर रख कर बेटी को पिता के साथ जाने का आदेश दिया।पुत्री पिता के साथ जंगल की और निकल पड़ी।
रास्ते में चलते चलते पिता के पैरों में काटा लग गया।वह अचानक वही बैठ गए।यह देख पुत्री ने अपनी चुंदरी का एक हिसा फाड़ कर पिता के पैरों में बांध दिया।फिर दोनों जंगल की और आगे बढे।
कुछ देर में वह जंगल के पास जा पहुचे।पिताने अपनी बेटी से कहा तुम जाकर वहां बैठ जाओ और पिताने गढ़ा खोदना शरू कर दिया।बेटी सामने बैठे बैठे पिता को देख रही थी।थोड़ी देर बाद जब पिता को पसीना आने लगा तो बेटी पिता के पास जाकर बोली”पिताजी यह लीजिये मेरा यह दुपता और अपने पसीना साफ कर लोजिये।”
पिताने बेटी को धका देकर बोला तू वहा जाकर चुप चाप बेठ जा।
कुछ और समय बीतने के बाद पिता गढ़ा खोदते खोदते थक कर पिता बेठ गए।यह देख बेटी को रहा नहीं गया और वह पिता जी के पास जाकर बोली लाइये पिताजी ये कुल्हाड़ी मुझे दीजिये मई गढ़ा खोद देती हूं।मुझसे आपकी तकलीफ नही देखी जाती।यह सुन कर पिताजी ने बेटी को गले लगा लिया उनका का दिल पसीज गया और वह फुट फुट कर रोने लगे।उनकी आँखों से आँसू की नदियां बहने लगी। पिता बेटी से बोले”बेटी मुझे माफ़ करदे यह गढ़ा में तेरे लिए खोद रहा था और तू मेरी चिंता करती है।अब जो होगा वो देखा जाएगा।तू हमेशा मेरे कलेजे का टुकड़ा बनकर रहेगी।में खूब मेहनत करूँगा और तेरी सदी धूम धाम से करूँगा।।
दोस्तों,कहा जाता है बेटी भगवान की भेंट होती है।सबसे अमनोल होती है वो सभी लोग भग्यशाली है कि उनके घर बेटी का वास है।कहा जाता है ना”बेटा भग्य से मिलता है और बेटी सोमभाग्य से”दोस्तो हम क्यों भूल जाते है कल्पना चावला, सुनीता विलियम और और अरुणा सिन्हा जैसी लड़कियों ने देश का नाम ऊँचा और गवरवशील किया है।हम ये क्यों भूल जाते हूं कि हम जिस कोख से जन्म लिए है वो बहु एक स्त्री ही है,हमारी future में जो जीवन साथी बनेगी वो भी स्त्री ही होगी।फिर लड़का और लड़की में भेद भाव क्यों?क्यों बेटियों को बोज समझा जाता है?दोस्तो आप भग्यशाल नही सोभग्यशाली है कि आपके घर बेटी है।।
save girl child
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