A speech on the topic bacho ke jivan par internet ka prabav
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बच्चों की शैक्षिक यात्रा में आज कम्प्यूटर उनका हमसफर बन गया है। सूचनाओं के अथाह भंडार और मनोरंजन के स्रोत के रूप में इंटरनेट बच्चों के लिए उनके दैनिक जीवन का हिस्सा है।
आज इंटरनेट शिक्षण, सकारात्मक मनोरंजन और विकास के अवसर प्रदान करता है। यह बात सही है कि आधुनिक युग में माता-पिता बच्चों के लिए इंटरनेट की उपयोगिता को समझ रहे हैं, वहीं इंटरनेट के अधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव से भी बच्चों के अभिभावक चिंतित हैं।
इंटरनेट पर किसी तरह की कोई सीमा नहीं होती, यहाँ कई तरह की अनगिनत साइट खोली जा सकती है। इंटरनेट की ये विशेषता लाभदायक भी है और हानिकारक भी। आज के बच्चे जहाँ बड़ी आसानी से इंटरनेट-फ्रेंडली हो रहे हैं, वहीं वे अनजाने में कई प्रकार के दुष्प्रभावों के वशीभूत हो जाते हैं।
इस संबंध में इंटरनेट और साइबर कल्चर के कुछ दोष भी हैं। बच्चे अनजाने में इंटरनेट पर कई सारी व्यक्तिगत जानकारी दे देते हैं। टीन एजर्स इस तरह बहुत सी गोपनीय बातें भी कई तरह के प्रलोभन के चलते नेट पर शेयर कर देते हैं। इसके अलावा नेट पर अनपेक्षित साइट्स भी बच्चों पर गलत प्रभाव डालती हैं। हिंसा, आश्लीलता और नशा परोसती साइट्स निश्चित रूप से अल्प आयु वर्ग के बच्चों के बौद्धिक विकास को बाधित करती हैं। इंटरनेट के इन दुष्प्रभावों ने आज बच्चों के अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है।
बालक-बालिका इंटरनेट का उपयोग करें, ये भी जरूरी है, लेकिन वे इसके बुरे प्रभावों से बचें, इसके उपाय भी जरूरी हैं। बच्चे इंटरनेट के आदी न हो जाएँ, सूचनाओं के विशाल भंडार में से बच्चे वही चुनें जो उनके सकारात्मक विकास में सहायक हो, यह ध्यान रखना भी आवश्यक है। आज के समय में माता-पिता ही बच्चों को सही जानकारी दे सकते हैं।
आज इंटरनेट शिक्षण, सकारात्मक मनोरंजन और विकास के अवसर प्रदान करता है। यह बात सही है कि आधुनिक युग में माता-पिता बच्चों के लिए इंटरनेट की उपयोगिता को समझ रहे हैं, वहीं इंटरनेट के अधिक उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव से भी बच्चों के अभिभावक चिंतित हैं।
इंटरनेट पर किसी तरह की कोई सीमा नहीं होती, यहाँ कई तरह की अनगिनत साइट खोली जा सकती है। इंटरनेट की ये विशेषता लाभदायक भी है और हानिकारक भी। आज के बच्चे जहाँ बड़ी आसानी से इंटरनेट-फ्रेंडली हो रहे हैं, वहीं वे अनजाने में कई प्रकार के दुष्प्रभावों के वशीभूत हो जाते हैं।
इस संबंध में इंटरनेट और साइबर कल्चर के कुछ दोष भी हैं। बच्चे अनजाने में इंटरनेट पर कई सारी व्यक्तिगत जानकारी दे देते हैं। टीन एजर्स इस तरह बहुत सी गोपनीय बातें भी कई तरह के प्रलोभन के चलते नेट पर शेयर कर देते हैं। इसके अलावा नेट पर अनपेक्षित साइट्स भी बच्चों पर गलत प्रभाव डालती हैं। हिंसा, आश्लीलता और नशा परोसती साइट्स निश्चित रूप से अल्प आयु वर्ग के बच्चों के बौद्धिक विकास को बाधित करती हैं। इंटरनेट के इन दुष्प्रभावों ने आज बच्चों के अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है।
बालक-बालिका इंटरनेट का उपयोग करें, ये भी जरूरी है, लेकिन वे इसके बुरे प्रभावों से बचें, इसके उपाय भी जरूरी हैं। बच्चे इंटरनेट के आदी न हो जाएँ, सूचनाओं के विशाल भंडार में से बच्चे वही चुनें जो उनके सकारात्मक विकास में सहायक हो, यह ध्यान रखना भी आवश्यक है। आज के समय में माता-पिता ही बच्चों को सही जानकारी दे सकते हैं।
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