A summary for the story Maa by munshi premchand. required urgently.
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वह उसका प्यारा पति ही था, किन्तु शोक! उसकी सूरत कितनी बदल गई थी। वह जवानी, वह तेज, वह चपलता, वह सुगठन, सब प्रस्थान कर चुका था। केवल हड्डियों का एक ढॉँचा रह गया था। न कोई संगी, न साथी, न यार, न दोस्त।
(प्रेमचंद की "माँ" से एक अंश)
(प्रेमचंद की "माँ" से एक अंश)
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