History, asked by chanduganpatgangavan, 9 months ago

अँधेरे के इलाके में किरण माँगा नहीं करते
जहाँ हो कंटकों का वन, सुमन माँगा नहीं करते ।
जिसे अधिकार आदर का, झुका लेता स्वयं मस्तक
नमन स्वयमेव मिलते हैं, नमन माँगा नहीं करते।
परों में शक्ति हो तो नाप लो उपलब्ध नभ सारा
उड़ानों के लिए पंछी, गगन माँगा नहीं करते ।
जिसे मन-प्राण से चाहा, निमंत्रण के बिना उसके
सपन तो खुद-ब-खुद आते, नयन माँगा नहीं करते।
जिन्होंने कर लिया स्वीकार, पश्चात्ताप में जलना
सलगते आप, बाहर से, अगन माँगा नहीं करते।​

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Answered by Aaryapisal17
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muse Nahi pata kshsjdvehrbbe

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