अंधेरी रात चुपचाप क्या बहा रही थी? पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर बताईए ।
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अंधेरा
आँसू
पानी
तारें की टिमटिमाहट
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अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं।
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