अिोवलवितंवित्रंदृष्ट्िा मन्द्जूषातः उवितपदंवित्िा
िाक्यानांररक्त्स्थानावन पूरयत- (4x1/2 = 2)
कृषकौ, कुटीरः, ग्रामस्य, कमलम्
1.इदम्धचत्रम्............................................. अधस्त ।
2.द्वौ ................................................. वातालथ ापम्कुरुतः ।
3.सरोवरस्य जले.................................. धवकसधन्त ।
4.धचत्रे एकः ............................................. अधप अधस्त
Answers
Answered by
1
श्री शिवाष्टक
आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं।
अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं॥
आग-निगम-पुरान सबै इतिहास सदा जिनके गुन गावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥१ ॥
सृजन सुपालन-लय-लीला हित जो बिधि-हरि-हर रूप बनावैं।
एकहि आप बिचित्र अनेक सुबेष बनाइ कैं लीला रचावैं॥
सुंदर सृष्टि सुपालन करि जग पुनि बन काल जु खाय पचावैं।
बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥ २ ॥
अगुन अनीह अनामय अज अविकार सहज निज रूप धरावैं।
परम सुरम्य बसन-आभूषन सजि मुनि-मोहन रूप करावैं॥

karthik27oct:
ok
िाक्यानांररक्त्स्थानावन पूरयत- (4x1/2 = 2)
कृषकौ, कुटीरः, ग्रामस्य, कमलम्
1.इदम्धचत्रम्............................................. अधस्त ।
2.द्वौ ................................................. वातालथ ापम्कुरुतः ।
3.सरोवरस्य जले.................................. धवकसधन्त ।
4.धचत्रे एकः ............................................. अधप अधस्त
Similar questions