Hindi, asked by viveksanganeria01, 3 months ago

आ बैल मुझे मार per mollick kahani likhiye​

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Answered by jain1234chavi
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मुसीबत का क्या है कभी आ भी जाती है। लेकिन उस इनसान का क्या करें, जो मुसीबत से खुद ही अपना सिर फोड़ने को तड़प रहा हो। शायद, ऐसे ही बेवकूफ़ लोगों के लिए ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत बनी है।

रमा अमित को कब से उठा रही थी कि उठ कर जल्दी तैयार हो जाइये कहीं लेट ना हो जाये आँफिस के लिये। अमित रात फ़ोन पर लेट तक मूवी देखता रहा अब नींद के चक्कर में रमा को डाँट दिया कि वो खुद उठ जायेगा तुम अब नहीं उठाना। अमीत की आँख लग गई तो आँफिस लेट होने के कारण सब काम जल्दी -जल्दी कर रहा था रहा था। अमित जैसे ही आँफिस के लिये घर से निकला तो रमा ने पीछे से आवाज़ दी, "अजी सुनते हो ?" अमित एकदम झुंझला उठा "तुमसे कितनी बार कहा है जाते समय पीछे से आवाज़ मत दिया करो। "

रमा - "जी वो मैं तो

अमित - "चुप रहो तुम ? फिर वही ... कब समझोगी" ... "अरे सुनिये तो बहुत ज़रूरी है" रमा पीछे से पुकारती रह गई।

अमित जल्दी से गाड़ी निकाल आँफिस की और भागा। कि कहीं लेट ना हो जाये।

रास्ते में ट्राफिक जाम में फँस गया। परेशान हो गाड़ी से बाहर निकल ट्रैफ़िक पुलिस पर चिल्लाने लगा कि "तुम लोगों की वजह से हमें आँफिस लेट हो जाता है।" झड़प इतनी बड़ी कि ट्रैफ़िक पुलिस ने उसे पकड़ लिया कि "लाईसैंस दिखाओ। सब काग़ज़ दिखाओ।"

अमित बड़बड़ाता हुआ आया कि हाँ दिखाता हूँ। लेकिन ये क्या जिसमें सब काग़ज़ रखे हुऐ थे वो फ़ाइल ही नहीं मिल रही थी। अमित ने ग़ुस्से में रमा को फ़ोन कर पूछा तो रमा ने बताया कि वो इसलिये तो आपको आवाज़ लगा रही थी कि आप फ़ाइल और बटुआ घर भूले जा रहे हो। लेकिन तुमने डाँट दिया।

अब काग़ज़ ना दिखाने के कारण पुलिस वाले अमित पर भड़क रहे थे चालान और काट दिया। अमित मन ही मन पछता रहा था कि क्यूँ उसने बेवजह ही पुलिस से पंगा लिया। बेवजह ही चालान हो गया। अब आँफिस भी लेट हो गया। पर्स ना होने के कारण अब आँफिस पहुँचने की भी मुश्किल आन खड़ी हुई। काश रमा की बात सुबह सुन जल्दी उठता। बाद में जब उसे वो बुला रही थी कम से कम बात तो सुन लेता। खुद ही उसने सारी मुसीबत मोल ली है। जैसे तैसे आँफिस पहुँचा तो बास का बुलावा आ गया। बास से जम कर डाँट पड़ी लेट आने के लिये।

कुछ देर बाद मीटिंग थी। जिसमें आज अमित ने अपनी प्रजैन्टेशन देनी थी क्यूँकि उसने कल बास को कहा था कि "कल की मीटिंग में वो प्रजैन्टेशन देगा राहुल नहीं।" सब मीटिंग में पहुँचते है और अमित के होश गुम हो जाते है क्यूँकि वो फ़ाईल घर भूल आया था। सब टेन्शन में उसे याद ही नहीं आया। अब मीटिंग कैसे हो। बास ने उसे इररिसपोन्सिबल होने का लेबल लगा दिया सबके सामने खूब डाँटा। उसकी वजह से मीटिंग कैन्सल करनी पड़ी। राहुल भी उसकी तरफ़ मज़ाक उड़ाने वाली नज़रों से देख रहा था। आज सच में अमित को समझ आ गया था कि कैसे उसने खुद को मुसीबत मे डाला है। “आ बैल मुझे मार वाली “ कहावत सही हो गई आज तो।

Answered by maheshlove9700
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मुसीबत का क्या है, आती ही रहती है. अगर हिम्मत से काम लिया जाए तो मुसीबत टल भी जाती है. लेकिन उस इनसान का क्या करें, जो मुसीबत से खुद ही अपना सिर फोड़ने को तड़प रहा हो. शायद, ऐसे ही बेवकूफ लोगों के लिए ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत बनी है

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