आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती है उसे गोद-भरी
रह-रहके हवा में जो लोका देती है
गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी
(क) इस काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) “चाँद के टुकड़े का प्रयोग किसके लिए हुआ हैं और क्यों?
(ग) माँ द्वारा शिशु को खिलाने का चित्र अंकित कीजिए।
(घ) बच्चा माँ की गोद में कैसी प्रतिक्रिया करता है?
यह अंश वात्सल्य का एक सुदर दृश्य प्रस्तुत करता है - सिद्ध कीजिए।
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क) हरिवंश राय बच्चन
ख)इसके रचयिता उर्दू-फ़ारसी के प्रमुख शायर फिराक गोरखपुरी हैं। इस रुबाई में कवि ने माँ के स्नेह का वर्णन किया है। व्याख्या-शायर कहता है कि एक माँ चाँद के टुकड़े अर्थात अपने बेटे को अपने घर के आँगन में लिए खड़ी है।
ग) बच्चा माँ की गोद में पहुंचते ही रोंना बंद कर देता है।
घ)
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