आंख ना होने पर भी चमगादड़ और अवरोधक की दिशा प्रकृति तथा आकार सुनिश्चित कर लेते हैं क्यों
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चमगादड़ उड़ते समय पराश्रव्य ध्वनियाँ (20,000 आवृति से अधिक) उत्पन्न करती है। ये ध्वनियाँ अवरोध से टकराकर वापस आती हैं तथा यही परावर्तित ध्वनियाँ अवरोध की दुरी, दिशा, प्रकृति एवं आकार का अवबोध कराती हैं।
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