आँसु से भाग्य पसीजा,हे मित्र,कहाँ इस जग में | नित यहाँ शक्ति के आगे ,दीपक जलते मग मग में | कुछ तनिक ध्यान से सोचो , धरती किसकी हो पाई ? बोलो युग-युग तक किसने, किसकी विरुदावली गाई ?
मधुमास मधुर रुचिकर है,पर पतझर भी आता है, जग रंगमंच का अभियन, जो आता सो जाता है | सचमुच वह ही जीवित है,जिसमें कुछ बल-विक्रम है , पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है,बल-पौरुष का संगम है |
दुर्बल को सहज मिटाकर,चुपचाप समय खा जाता , वीरों के ही गीतों को , इतिहास सदा दोहराता | फिर क्या विषाद,भय ,चिंता जो होगा सब सह लेंगे ,परिवर्तन की लहरों में ,जैसे होगा बह लेंगे |
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिये |
5. आँसू से भाग्य पसीजा,हे मित्र , कहाँ इस जग में इस का आशय है
(1 Point)
रोने-धोने से कुछ नहीं होता
रोने-धोने से लोग पसीज़ जाते
रोने धोने से भाग्य नहीं बनता
रोने धोने से भाग्य भी रोता है |
6.यहाँ लोग किसकी आराधना करते है ?
(1 Point)
समर्थ लोगों की
करुणावान लोगों की
दुर्बलों की
दीन-दुखियों की
7.पल-पल घुड़दौड़ यहाँ है का आशय है -
(1 Point)
हर पल बल-पौरुष की होड़ है |
यहाँ सदा नीचा दिखाने की होड़ है |
यहाँ हमेशा घोड़ों की दौड़ चलती है |
यहाँ हमेशा भागदौड़ मची रहती है |
8.यह कविता क्या प्रेरणा देती है ?
(1 Point)
वीर बनो
गतिशील बनो
करुणावान बनो
चिंतनशील बनो
9.'विषाद'का पर्यायवाची शब्द लिखिए-
(1 Point)
निराशा
पराजय
दुःख
नीरवता
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Answer:
1. d
2. b
3.a
4.c
5.d
6.b
7.c
8.b
9.a
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Explanation:
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2
Answer:
9. नीरवता
8.करुणावान बनो
7. हर पल बल-पौरुष की होड़ है |
6. करुणावान लोगों की
5. रोने धोने से भाग्य नहीं बनता
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