आच प्रथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
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प्रथा प्रथा होती है वह बहुत सालों से चलती है पर कोई कोई प्रधान में विश्वास नहीं होती है हमें ठीक से जांच कर प्रथा को अपनाना चाहिए हमारे त्योहार भी प्रथा से ही होते हैं जैसे होली दिवाली गणेश चतुर्थी और बहुत सारी व्यथा होती है उससे ही हमारे त्योहार बनते हैं प्रथा से हम मदद करते हैं और प्रथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखने पड़ती है
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चेजारो के साथ गाँव का यह संबंध उसी दिन नहीं टूट जाता था। आच प्रथा से उन्हें वर्ष-भर के तीज-त्योहारों में, विवाह जैसे मंगल अवसरों पर नेग, भेंट दी जाती और फसल आने पर खलियान में उनके नाम से अनाज का एक अलग ढेर भी लगता था। अब सिर्फ मजदूरी देकर भी काम करवाने का रिवाज आ गया है।
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