(आहम उस धरती के लड़के हैं, जिस धरती की बातेंक्या कहिए; अजी क्या कहिए; हाँ क्या कहिए।यह वह मिट्टी, जिस मिट्टी में खेले थे यहाँ ध्रुव-से बच्चे।यह मिट्टी, हुए प्रहलाद जहाँ, जो अपनी लगन के थे सच्चे।शेरों के जबड़े खुलवाकर, थे जहाँ भरत दतुली गिनते,जयमल-पत्ता अपने आगे, थे नहीं किसी को कुछ गिनते!इस कारण हम तुमसे बढ़कर, हम सबके आगे चुप रहिए।अजी चुप रहिए, हाँ चुप रहिए। हम उस धरत
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हम उस धरती के लडके है ,जीस धरती की बाते क्या कहिये; अजी क्या काहिये;| यह वह मिट्टी मे खेले थे याहा ध्रुव से बच्चे इन काव्य पक्तियो का सरळ भावार्थ likhiye
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