आहसा
कहत
5. दीर्घ उत्तर लिखिए-
क) 'शस्त्रों से मनुष्य कदापि निडर नहीं बन सकता।' सिद्ध कीजिए।
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समस्त युद्ध इतिहास का अध्ययन करने पर एक सबसे प्रमुख तथ्य जो उजागर होता है, वह यह है कि युद्ध और शांति का कथानक जिस रूप में सामने लायें उसमें "शस्त्र" एक चमचमाते हुए सितारे की भांति हरकाल में जगमगाता रहा है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि शांति और युद्ध दोनों ही कालों में शस्त्रों की धूम, उपयोगिता और प्रभाव यथावत बना रहा है। आज शांति की रक्षा तभी प्रभावी ढंग में कर सकते हैं जब आप शांति तोड़ने वालों की तुलना में शक्तिशाली हो। भारत के राष्ट्रकवि का भी यही मानना था कि "ऋषियों को भी सिद्धि तभी तप में मिलती है जब पहरे पर स्वयं धनुर्धर राम खड़े होते हैं।"[१]
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